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चक्रव्यूह

By Mrs Paramjeet Kaur Jagir Singh Thuain


मैंआजतकरिश्तोंकेअद्भुतखेलकोसमझनहींपाईहूँ।येखेलकभीरुलातेहैं,तोकभीहँसातेहैंतो कभीजीवनभरकेलिेएऐसेजख्मदेजातेहैं, जोलाखप्रयत्नकरनेकेबादभीभरतेनहीं ,जीवनपर्यंतरिसते रहतेहैऔरहमेशाकेलिेएकसकसीछोडजातेहैंतोकभीसंवेदनाओंकीऐसीचोटदेजातेहैंकिपत्थरदिल भीतिलमिलाउठें।अपनेस्पर्शसेकभीभीषणतपनमेंभीशीतलताकाआभासदेजातेहैंतोकभीलडखडाते कदमोंकोसहाराभीदेजातेहैंऔरकमालयहकिनकारात्मकजीवनमेंसकारात्मकताकेबीजबोदेतेहैं।



औरकभीभयानकउलट -फेरभीकरदेतेहैं।कुछनकारारिश्तेअच्छे - भलेइन्सानोंकाभीविश्वासडगमगा देतेहैं।सचमुचजीवनकेकुरूक्षेत्रमेंहमसबअर्जुनहैं।ऐसेअर्जुनजोहरपलभगवानकोहाजिर-नाजर जानतेहुएभीऔरसाथहीसाथहरधर्म,नियमकापालनकरतेहुएभीअनायासहीकाँपउठतेहैंफिरजीवन- समराँगनमेंआगेबढतेहुएएकमार्गदर्शक ,एकज्ञानदाताकीआवश्यकतामहसूसकरतेहैंऔरमानसिक रूपसेभीस्वयम्सेहीसंघर्षकरतेरहतेहैंऔरएकदिनजाने-अनजानेहीसहीअपनीसंतानोंकोभीरिश्तों केएकऐसेचक्रव्यूहमेंधकेलदेतेहैंजिसमेंवेनिरंतरसंघर्षकरतेरहतेहैं ,भरसकप्रयासकेबादभीउसमेंसेबाहरनहींनिकलपातेऔरउनरिश्तोंसेलडते-लडतेहीउनकेबनाएचक्रव्यूहमेंदमतोडदेतेहैं -दमतोड देतेहैं।


By Mrs Paramjeet Kaur Jagir Singh Thuain




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