top of page

ग़म का क़िस्सा है ये...

By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")


ग़म का क़िस्सा है ये, कि ये ख़ुशी की तालाश में रहता है,

जैसे एक बेरोज़गार रोज़ी की तालाश में रहता है।

मिल जाती है ख़ुशी जो इसको, ज़ाया कर,

फिर ख़ुद की तालाश में रहता है।

ग़म का क़िस्सा है ये, कि ये ख़ुशी की तालाश में रहता है।


मन के मानिंद है ये, हमेशा कश्मकश में रहता है,

मिलता नहीं आराम किसी भी दर पे इसको,

ये हमेशा दर-बदर रहता है।

ग़म का क़िस्सा है ये, कि ये ख़ुशी की तालाश में रहता है।



अमीरों की तिजोरी में रहता है, ग़रीबों की थाली में रहता है,

जिसकी जैसी ज़रूरत हो, ये उस ज़रूरत में रहता है,

ग़म का क़िस्सा है ये, कि ये ख़ुशी की तालाश में रहता है।


बचपन के नख़रों से जवानी की तालाश में रहता है,

जवानी से बुढापे की उलझनों में रहता है,

ज़िंदगी से क़ब्र तक ये साथ रहता है,

ग़म का क़िस्सा है ये, कि ये ख़ुशी की तालाश में रहता है।

By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")



Recent Posts

See All
My Words

By Dr. Anuradha Dambhare चार दीवारी मै बैठे ना जाने क्यों ईन खयालोके परिंदो को पर नहीं छुटते... ये खयाल भी शायद लफ्जो के इंतजार मै और...

 
 
 
धी लोचा सिटी।

By Hemangi Sosa ધ લોચા સિટી. અહીંયા વસેલા ચહેરાઓ આ શહેરને એના સ્વાદથી ઓળખે છે. એમ સમજો કે,  આ શહેરમાં તમને સ્વાદના અલગ - અલગ ચહેરાઓ જોવા...

 
 
 
यादें

By Hemangi Sosa યાદો.    કેદ થયેલી ક્ષણો ધબકારા બની ને તમને બેચેન કર્યા કરે છે. પણ , આ છે શું ????        8. (यादें )  ( कैद किए गए पल...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page