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खोखली दोस्ती

By Ishani Gupta


तुम बोलते नहीं हो, इसका मतलब ये नहीं कि तुम गलत हो,

बस तुम बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते।

कहने को तो बहुत कुछ है तुम्हारे पास,

पर बहस में तुम पड़ना नहीं चाहते।


वो तुम्हारी इसी चुप्पी का फायदा उठाते हैं,

और तुम उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला लेते हो,

बस इसी वजह से कि सामने वाले को बुरा न लगे।


वो दोस्ती ही क्या, जिसमें तुम अपनी बात न रख सको,

दोस्ती में तो लोग एक-दूसरे को बिना बोले ही समझ जाते हैं।

पर जहाँ तुम्हें समझने वाले वो दोस्त ही नहीं,

और जब बात आती है आत्म-सम्मान की,

तुम वही रिश्ता तोड़ देते हो।


अब धीरे-धीरे समझ आने लगा है तुम्हें,

ऐसी खोखली दोस्ती की ज़रूरत तुम्हें नहीं है,

जहाँ तुम्हें समझने वाला न हो।


सच्चे दोस्त सितारों जैसे होते हैं,

हर वक्त दिखते नहीं,

पर हमेशा साथ होते हैं।


By Ishani Gupta

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