खरीदकर: (ग़ज़ल)
- Hashtag Kalakar
- Oct 11, 2022
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By Dr C M Gupta Atal
देता रहा उसके लिए काजल खरीद कर
वो चूड़ियाँ कंगन कभी पायल खरीद कर.1
मिलना हमारा याद आता रोज़ वेवजह।
लाऊँ कहाँ से आज मैं वो पल खरीद कर.2
ऐ आसमाँ धरती तेरी प्यासी तड़प रही.
क्या ला सकेगा तू कभी बादल खरीद कर.3
आते रहे करते रहे वादे नए नए.
कोई न लाया माँ का वो आँचल खरीद कर.4
केवल यही तो माँगती विधवा शहीद की.
कोई मुझे गर दे सको संबल खरीद कर.5
मत फ़िक्र करना साकिया मेरे हिसाब की.
पीता रहूँगा रात भर बोतल खरीद कर.6
ऐ दोस्त बाज़ारों में महँगाई का राज है।
खाओगे कैसे दाल औ चावल खरीद कर.7
By Dr C M Gupta Atal

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