किसको याद रखूं
- Hashtag Kalakar
- Oct 23
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By Dr er Ratnesh Gupta
कभी अपने भी पराए हो जाते हैं,
कभी पराए भी अपने लगते हैं।
क्या करूँ, किसको याद रखूँ,
ज़िंदगी के इन बदलते रिश्तों में।
कभी ग़म भी अपना-सा लगता है,
कभी ख़ुशी भी पराई-सी लगती है।
कभी दिल अपने ही साए से डरता है,
कभी तन्हाई भी साथ निभाती है।
क्या करूँ, किसको याद रखूँ...
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By Dr er Ratnesh Gupta

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