किस हक़ से…
- Hashtag Kalakar
- Feb 14, 2023
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By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")
किस हक़ से माँगू, आपके बताए रास्ते पे
मुकम्मल चल नहीं पाता हूँ जो,
किस हक़ से माँगू, रिज़्क़ को सूद से
सफ़ा रख नहीं पाता हूँ जो,
किस हक़ से माँगू, आदत-ए-परहेज़-ए-ग़ीबत
पे क़ायम रह नहीं पाता हूँ जो,
किस हक़ से माँगू, बेशुमार अता किया आपने बिन माँगे,
पेशानी फिर भी पाँच-वक़्त आपके आगे झुकाता नहीं पाता हूँ जो,
फिर भी आपसे ही माँगूगा में ख़ैर सबकी,
किसी और के आगे झुकता नहीं है, ये जो सर मेरा।
By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")

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