कहानी- सोनु और बुनू
- Hashtag Kalakar
- May 3, 2023
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By Varsha Neeraj Chaudhary
जीवन के कुछ अनुभव ऐसे होते है जो आपको हमेशा याद रहते हैं। अतीत के झरोखो से झाका जाए तो वे सभी अनुभव चलचित्र की भांति आपके सामने आने लगते है।
इसी तरह का एक अनुभव है मेरा पहला खरगोश पालना।विवाह से पूर्व मुझे भली भांति याद है कि अपने स्नातक की परीक्षा के समय मैने एक खरगोश पाला था।वह किस प्रकार मेरे पास पहुँचा यह तो मुझे याद नही परन्तु जब मै अपनी परीक्षा देकर महाविद्यालय से घर वापस आती थी तो कुछ समय विश्राम के पश्चात उसका पिंजरा खोल देती धी।इसके पूर्व मुझे उसे बिल्ली के आक्रमण से बचाने के लिए चारो ओर से सभी दरवाजो को बन्द करना पडता था ताकि कही से भी बिल्ली घर मे प्रवेश न करे।
उसके साथ खेलना ,उसका पूरे घर मे निर्भीक होकर घूमना मुझे बहुत प्रिय था। कुछ समय पश्चात उसे पुनः पिंजरे मे डाल कर उसे लटकाकर रख देती थी। ऊंचाई पर स्थित होने के कारण बिल्ली उस तक नही पहुंच पाती धी।वैसे उसका नाम मैने सोनु रखा था।
परन्तु होनी को कोई भी टाल नही सकता है,इसको प्रमाणित करते हुए उस कोमल जीव पर एक दिन बिल्ली ने आक्रमण कर दिया और सीधे उसके गले पर वार कर दिया।मेरे तो होश ही उड़ गए। बिल्ली को तो मार कर भगा दिया परन्तु उस जीव को नही बचा सकी। उस रात मेरा खाना पीना सब रह गया। रो-रोकर बुरा हाल था लेकिन मै कुछ भी न कर सकी ।
आखिर स्वंय को समझाते हुए कि जो जन्म लेता है उसे एक दिन इस संसार से जाना ही होता है यह बात अपने मन को समझाती रही।मन मे एक और बात ठान ली कि अब कभी किसी जीव को घर नही लाएंगे। परन्तु एक बार पुनः अपने पुत्र के आग्रह पर मै एक खरगोश को दुबारा अपने घर ले आई।
सोनु का जाना और बुनू का आना इन दोनो ही अनुभव के बीच लगभग बीस-बाईस साल का लंबा अंतराल है फिर भी मुझे अपना पहला अनुभव अब भी याद है।
By Varsha Neeraj Chaudhary

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