कत्ल - ए - आम
- Hashtag Kalakar
- Sep 28, 2022
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By KAUSTUBH MISHRA
दिल पर काबिज़ उनकी हुकूमत थी
जिसका बहुत बुरा अंजाम हो गया,
रोज़ गुज़रते थे जिस रास्ते से
वो भी आज गुमनाम हो गया
हमने तो उन्हें अकेला देख भीड़ से सिर्फ आवाज़ लगाई
उनकी नज़रें क्या घूमी
इधर क़त्ल-ए -आम हो गया।
By KAUSTUBH MISHRA

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