एक दिन बैठे रावण और राम, बीते दिनो की बात करे
- Hashtag Kalakar
- Feb 14, 2023
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By Pritesh Maheshwari
एक दिन बैठे रावण और राम, बीते दिनो की बात करे
क्या पुण्य था, क्या पाप था, हर कर्मों का हिसाब करे
सोच रहे जो हुआ तभी, वो कैसा कर्मों का लेखा था
जिस तरह हुआ उस युग का अंत, वो तो फिर सब ने देखा था
फिर सोच रहे चुप बैठे दोनो, वो युग तो फिर भी अनुशासित था
नियम थे, अनुशासन थे, हर व्यक्ति कर्मी का अनुरागी था
फिर भी तब पाप का शमन करन को, राम वचन से बंधित थे
पर आज का युग जो सह रहा है, वो क्यों उद्धार से वंचित है..?
पूछा रावण ने समझाओ राम, क्या रोक रहा भगवान तुम्हें
दुखों से त्रस्त, हो निर्बल भयभीत, पुकार रहा इंसान तुम्हें
ऐसे पापी है इस युग में, की मैं ख़ुद में छोटा हो गया
जो में सोच भी ना पाता था मैं, यह वो वो घटित भी हो गया
मैं सोच नहीं पाता कैसे, ये पापी.. मुझे अब भी पापी बुलाते है
खुद के कर्म नहीं दिखते इनको, और बस बीती बातें दोहराते है
इनके कुकर्मों को देख के राम, अब मैं खुद भी लज्जित हो जाता हूँ
सोचता हूँ की उन्हें मिटाने.. मैं खुद ही राम दूत बन आता हूँ..!
राम भी एक पल मौन हो गए, और सोचे बोलो तो अब क्या बोलो..
फिर मुसकाके बोले रावण से, तुम खुद को इनसे मात तोलो..
तुम अभिमानी थे, पर ज्ञानी थे, अपने कर्मों से अनजान ना थे
ये अज्ञानी और अनजान भी है, दुष्कर्मी है, शैतान भी है
उन्हें मिटाने ना मुझे आना है, ना तुम्हें, ना ही हनुमान को
इनके पाप ही इनके रोग बनेंगे, और मिटा देंगे शैतान को
कर्मों का लेखा बड़ा प्रबल है, ये तुम जानो, ये मैं जानू,
हर कुकर्म में पतन छुपा है, इसी सत्य को मैं मानू..!
तुम शक्तिशाली थे, भक्त थे शिव के, तो मेरा आना तो तय ही था..
और कौन था अन्यथा इस भ्रमाँड में.. जो तुम्हारे आगे टिकता,
इस युग के पापी खुद के जीवन में, खुद ही खुद के दुश्मन है
खुद ही खतम कर लेंगे खुद को, इनकी नियति में उतना ही जीवन है..
ये तुम्हारे नाम से पुतले जलाके, बस खुद को बहलाते है
पर सच ये है कि इनके पाप, दिन रात इन्हें सताते है
ना सुख है मन का, ना शांति.. बस अपनी हुंकार लगते है
तुमने मुझसे मोक्ष पाया है.. ये मेरी करुणा भी नहीं पाते है..
बड़े सब्र से रावण को, देखो राम समझाते है..
कर्मों का ये खेल हे सब, और सब कर्मों का पाते है..
By Pritesh Maheshwari

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