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उम्मीद एक नई जिंदगी की

By Jyoti Kumari


तज़ुर्बा जिंदगी का बंद कमरे मे भी होना जायज है, तब जब जिया था जिंदगी तो समझ नही आया था बस लम्हो मे यादें बसा रहे थे अब जब सोच रही हूँ उन लम्हो को तो समझ आ रहा क्या क्या जिया है मैंने।



मेरे दोस्त जब बोलते है की मैंने अपना चार साल बरबाद कर दिया तो मै उन्हे judge नही करती, ये उनका नज़रिया है।

पर जब मै अपने नज़र से देखती हु अपने चुने हुए रास्ते को तो समझ आता है की इस सफर मै मैंने बहुत कुछ सिखा है, जिंदगी को असल मायने मे समझा है, अच्छे dost मिले तो सबक भी,लोगो को समझना सिख गयी हु मै, ये समझ गयी हु की लोगो का और तुम्हे ले कर उनके बातो का होना तुम्हारे सफर मे जरूरी होता है।ये तब पता चलता है हमे जब, हम अपनी मंज़िल तक पहुँच जाते है।


मुझे मेरे career का कोई idea नही था, कुछ सोचा भी नही था की ये बनना है वो बनना है बस इतना पता था 10th के बाद science लेना है और 12th के बाद या तो engineering या medical नही तो science subject से B.Sc ताकि आगे किसी college मे professor बन जाए क्योंकि आस पास सभी यही तो कर रहे थे या फिर यू बोलू की करने वाले थे।

12th के बाद 4 saal drop किया है मैंने क्योंकि ये नही पता था मुझे की मै किसमे अच्छा कर सकती हुँ। बस ये सोचा था जो दूसरे कर रहे है मै भी वही करूँगी । बहोत लोग भी तो दुसरो को देख कर या लोगो का सुन कर decide करते है।

जब करने लगी तो समझ मे आया burden सा लग रहा ये सब मुझे।मैंने ऐसा नही है की कोसिस अपनी तरफ से नही किया पर करने को, जब मै तीसरा साल drop कर रही थी तब लोगो ने बोला था मुझे की degree पुरा कर लो पर अंदर से लग रहा था नही मै गलत कर रही हु खुद के साथ।

बहोत लोग भी तो दुसरो को देख कर या लोगो का सुन कर decide करते है।

12th तक इतनी समझ कहा ही रहती है,

हां कुछ बच्चे होते है जिन्हे पता होता है करना क्या है उनके guidance के लिए भी होते है उनके लोग उनके पास पर कुछ लोग अपना रास्ता खुद बनाते है पहले पता नही होता तो ढूँढने मे लग जाते है।

मै ये तो जानती थी की मुझे नही पता मै किस मे बेहतर कर सकती हु पर ये पता था कुछ तो जरूर होगा मेरे लिए भी।

Drop करने का फैसला आसान नही होता हिम्मत चाहिए होती है तब जब आपको पता है की आप हर साल अपने साथ वालो से पीछे हो रहे हो और सभी आगे बढ़ रहे है।

आस पास तो लोग है पर सायद आपकी जगह पर रह कर समझने वाला कोई नही, अंदर न बवंडर सा चल रहा होता है।

आप depression मे आने लगते हो और आपको पता भी नही चलता।

मुझे ये समझने मे थोड़ा वक़्त लगा की मुझे खुद को समझना है तो दुसरो को देखना बंद करना होगा।



"किसी भीड़ का हिस्सा नही हूँ मै,

मेरा खुद का किरदार है मेरी जिंदगी मे...

तो अपनी कहानी भी मै खुद लिखूँगी।"


ये मेरा 12th के बाद 4rth year hai अभी bangalore मे हूँ fashion designing कर रही हूँ । ये भी मेरा ही decision था क्योंकि किसी ने ये नही बताया था की सिर्फ sketching अच्छा होने से कोई designer नही बन जाता , वैसे ये field बहुत interesting है पर मुझे पता नही क्यों नही लग रहा । ये समझ आ रहा था की मै sketching तब करती हु जब मै bore होती हूँ। ये एक hobby की तरह है , ये बस जब मै परेशान होती हूँ तो मुझे अच्छा महसूस कराता है। अभी ये सोच रही थी की एक दोस्त ने पूछा shopping चलना है? कुछ और लोग भी चल रहे है साथ,मैंने सोचा चली जाती हु थोड़ा mood change हो जायेगा और अच्छा लगेगा। हम shopping के लिए पहुँचे,मेरे college mate कपड़े का texture, quality ये सब देख रहे है और मेरे दिमाग मे ये चल रहा है की मै कपड़े बनाने के लिए नही बल्कि कपड़े पहनने के लिए बनी हूँ ।

वैसे ये तो पता था जिंदगी का हर moment जीना चाहिए क्योंकि जो जहाँ है वो वही परेशान है इसलिए मै भी सब कुछ थोड़े वक़्त के लिए भूल जाती हूँ और दोस्तो के साथ shopping करने लगी।

वापस हॉस्टल आई तो घर से call आया माँ ने पूछा ठीक हो ना तुम? मै चुप हो गयी अजीब बात है ना जब मै परेशान रहती हूँ तो माँ को पता चल जाता है । मैंने बोला हाँ सब ठीक है, मै ठीक हूँ मैंने बात बदलते हुए पूछा क्या खाया dinner मे। वो खुद इतना परेशान रहती हैं क्या ही बोलू मै अपना, खामखा दूर है टेंशन मे अजायेंगी। थोड़े देर बात कर फोन रख दिया मैंने।

मेरी माँ teacher है स्कूल की भी और मेरे life की भी उन्होंने मुझे कभी give up करना नही शिखाया है जब कभी भी मुझे अंदर से ये महसूस हुआ हो अब बस नही होगा मुझसे इस सफर मे चलना मुश्किल सा लग रहा है तब मै खुद को बोलती हु याद है ना किसकी बेटी है तु अभी से घबरा गयी पूरी ज़िदगी सामने पड़ी है। सारी माँ अच्छी ही होती है पर मेरी माँ मेरी inspiration है।

मै छत पर आ गयी अपने decision के बारे मे सोच रही हूँ, कोई नही दिख रहा था जो मुझे सही से guide कर सके, जहा सोचती भी थी वहा सभी से यही सुनने को मिलता था की ऐसे कभी कुछ नही कर पायेगी तु।

ऐसे होसला क्या बढे मेरी, मुझे खुद पे doubt आने लगता था।

आसमां को निहार रही थी मै,मेरे सवालो से भरे नजरो को मानो कुछ तलाश हो।


"किस द्वंद मे फसी है तु

सब कुछ जान कर भी अंजान है..

क्यों भाग रही है फिर से तु खुद के अस्तित्व से,

क्यों सुकूंन है तुझे उलझं मे ही..

तु मेरी हो कर भी मेरी सी नही रही..

ऐ जिंदगी

तु अजनबी सी लगने लगी है मुझे.."

अभी मै गुम थी ही की अचानक mobile vibrate हुआ Facebook से किसी के birthday का notification था।

जब Facebook खोला तो मेरे पुराने स्कूल के exhibition का फोटो upload था किसी जूनियर ने किया था। मैंने भी पहली बार क्लास 9th मे हिस्सा लिया था वो भी economics मे।ऐसा subject जिसके बारे मे मुझे कुछ पता नही है और ना ही उस वक़्त पढ़ने मे कभी interest आया लेकिन फ़िर भी first prize के लिए चुनी गयी थी मै। सायद उस वक़्त science पे जादा ध्यान था मेरा।

अजीब बात है ना interest नही था तो first prize ले कर आगयी और जिसमे interest रहा है वो अब समझ मे ही नही आ रहा।





अक्सर जहां उम्मीद नही रहता है हमे हमारे मंजिल का रास्ता वही पे मिलता हैं,

पता नही क्या दिमाग मे आया, साल का आखिरी महिना था मैंने search किया कोई college economics के लिए मिल जाय जहाँ admission हो रहा हो।

कहते है जो चीज आपके लिए होता है ना, universe भी आपकी मदद करता है।

YouTube पे एक video मिला IGNOU से related जिसमे था की January session का admission शुरू हो गया है, मैंने उसका site खोला और B.A Economics के लिए apply कर दिया।

उसके बाद Designing छोड़ दिया मैंने और अपने parents को बताया नहीं, ऐसा नही है की बताना नही चाहती या वो कुछ बोलेंगे तो बुरा लगेगा मुझे बस ये पता था की वो मेरे लिए ही परेशां हो जायेंगे इस बोझ को ले कर चलना आशन नही है पर मेरी नियत उन्हे धोखे मे रखना नही है, मै बस सही वक़्त का इंतज़ार कर रही हूँ जब मुझे लगेगा की मै उस जगह पे हूं जहां के लिए सफर शुरू किया था मै बता दूँगी।

ये promise किया है मैंने खुद से। Parents कभी बुरे नही होते या हमारे लिए कभी गलत नही सोचते बस कभी situations ऐसे हो जाते है जहाँ हम ना उन्हे समझा पाते है और ना ही वो समझ पाते है, पर वक़्त हमेसा एक जैसा नही होता बस मुझे भी उसी वक़्त का इंतज़ार है।



अगले महीने admission approve हो गया मेरा, मेरा college ID card मिल गया मुझे, books भी आ गये थे excited थी क्योंकि ये पूरी तरह कुछ नया था मेरे लिए।

पर किसी ने सच ही बोला है जब सब कुछ सही चल रहा होता है और सुलझा सा दिखता है, जिंदगी तब ही earphone की तरह फिर से उलझी मिलती है।

Economics मुझे खुद से पढ़ना था क्योंकि IGNOU के doubt classes ही चलते थे।

अरे नही! ये साल drop नही कर रही थी मै क्योंकि इस बार घबराहट या डर नही लग रहा था मुझे, बल्कि पहली बार लग रहा है की मै कर सकती हूँ।

सायद जिंदगी समझ मे आने लगी थी थोड़ी थोड़ी।

हम जब तक इसके challenge को problem की तरह देखते है तब तक मुश्किल सा दिखती हैं जिंदगी।

इतने लंबे सफर के बाद खुद मे बहुत कुछ बदला पाया है मैंने, मैंने problems को problem समझना छोड़ दिया था अब मै challenge की तरह देख रही थी और मुझे challenge पसंद है, तो अब मज़ा आ रहा था मझे।


"मुझे पता है जिस दरिया मे बह रही हूँ मै, वही उसके किनारे तक ले जायेगा...

चाहे इस बार डूब कर ही क्यों ना पहुँचना पडे, तैरना आता तो है पर सवाल ये है की निकल कर जब अपने ही ढूंढे हुए किनारे पे पहुँचना है तो इस दरिया मे बहन ही क्यों था..

जरूरी तो नही डूबने से जिंदगी रुक ही जाए..

क्या पता एक नई जिंदगी मिल जाए मुझे।"


अब मुझे मेहनत खुद से करनी थी, मैंने decide करा की मै अब अपना 100% दूँगी,

शुरू मे थोड़ा दिक्कत हुआ, पर जहाँ समझ नही आता था YouTube , Google से हेल्प ले लेती थी ।

अब मै खुश थी, लग रहा था जो चाहिए था वो मिल गया है।


आज मै Economics मे graduate हो चुकी हूँ।

अब जब लोग GST, Finance ये सब की बाते करते है न तो अंदर से बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि मुझे अब पता है ये सब।

सफर मे तो अब भी हूँ पर आगे क्या करना है किधर कदम बढ़ाना है ये पता है मुझे। सफर मे अब नये challenges आयेंगे जान्ति हूँ पर ready हूँ मै।


"तुमसे जुड़ा हर रास्ता

कुछ कहता है मुझसे..

तुम कहते हो मुझे अक्सर की

समझना मुश्किल है मुझे ..

मै भी तो जिद्दी हु

यु सुकून कहाँ है मुझे आसान सी जिंदगी मे "


Parents जब अपने बच्चों को देखते है एक मुकाम पे तो अलग ही रौनक होती है उनके आँखो और होठो पे।

मुझे भी वो देखना है एक दिन अपने parents के आँखो की वो चमक और होठो पे सुकून भरी मुस्कान,

और बताना हैं लोगो को की सारे dropout, सफर का अंत नही बल्कि कुछ नई शुरुआत भी हो सकती है।

क्योंकि जिंदगी का मतलब ही सफर हैं।

जब कोई पास ना हो, खुद का हौसला भी साथ छोड़ने लगे तो छोटी सी उम्मीद के सहारे चल लेना सफर मे, जब कुछ समझ ना आये कोई दिखे नही, दिल भर सा जाए तो रो लेना खुल कर।

क्योंकि तुम्हारी सिसकियां सुनने के लिए सिर्फ तुम ही हो, पर जब शांत होंना तो शीशे के सामने खड़ा होना और बोलना की "मेरे लिए तुम काफी हो यारा".. तो क्या हुआ अगर कोई हाथ नही देता मेरे गिरने पे मुझे वापस से उठाने के लिए, तुम हो ना, मुझे संभाल सकते हो। अगर कभी बिखरा महसूस करू तो मुझे समेट लेना, कभी जो टूटा महसूस करू तो हिम्मत बनना,

मेरे लिए तुम काफी हो।

और ये बोल कर फिर से एक नई सुरुवात करना, थोड़ा वक़्त भी लेना हुआ तो लेना बस giveup नही करना।

जिंदगी हर किसी को खाली पन्ना देती है उसको भरना कैसे है ये हमारे उपर निर्भर करता है।


तुम जितना जानने की कोसिस करोगे मुझे उतना ही डूबना पड़ेगा तुम्हे...

ये जिंदगी ना गहरे समुंदर की तरह है,

उपर से शांत और अंदर मे कहानियों का पिटारा लिए बैठा है।



वैसेकौनकहताहैइंसानसायरदिलटूटनेपेहीबनताहैमुझेतोइससफरनेबनादियाहै।


By Jyoti Kumari






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