“आत्म प्यार”
- Hashtag Kalakar
- Jan 9
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Updated: Jul 14
By Dr. Preeti Sharma
मैं एक इंसान ऐसा हूँ,
जिसे दुनिआं समझ नहीं पाती |
मैं मौन हूँ ,
जो वो समझे मुझे नासमझ |
कुछ बोल दूँ
तो वो समझे बेअकल |
मैं घुट घुट दम भरती हूँ ,
जब जब ऑंखें नम करती हूँ |
हिसाब मांगती हूँ ,उस खुदा से ,
कर्मो को अपने गिनती हूँ ,
कभी -कभी उनकी परिस्थितियों में खुद को ढाला करती हूँ ,
कभी कभी उनकी खुशामदी भी करती हूँ |
पर उनका जितना करती हूँ ,
उतनी निराशा से भरती हूँ |
मैंने आजमाए हैं तरीके दुनिआ को खुश करने को ,
पूछोगे तो लिख दूंगी पन्नो में तुम्हे पढ़ने को |
मैंने सोचा बन जाऊ उनके जैसी ,
शायद उनकी पसंद बन जाऊ |
पर भूल गयी थी मैं अपनी पसंदीदा थी कभी ,
अपनी ज़िन्दगी की अभिनेता थी कभी ,
मैं भूल गयी थी मेरी शख्सियत ऐसी थी जो दुनिआ को समझ पाती नहीं ,
इसलिए मुझे दुनिआ समझ आती नहीं ||
By Dr. Preeti Sharma

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