अनकहा
- Hashtag Kalakar
- Sep 18
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By Gursahil Gill
हमें रिश्तों को आजमाना नहीं आता
किसी से सीख लेते हैं, किसी को सिखाना नहीं आता
बात बने तो कैसे बने
वो समझे न इशारे, मुझे प्यार जताना नहीं आता
कोई बताए हमें कि कैसे दिल से निकलते हैं लोग
हमें तो किसी को भुलाना नहीं आता
ये लोग नहीं समझते दीवानों के दिल को
और दीवानों की समझ में ये जमाना नहीं आता
रखते हैं छिपाकर सीने में दर्द सारे
हमें अपना ज़ख्म दिखाना नहीं आता
हमने जिनकी याद को संभाला है आज तक औलादों की तरह
वो गए तो कहकर ये गए कि हमें कोई रिश्ता निभाना नहीं आता
By Gursahil Gill

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