Zinda Aadmi
- Hashtag Kalakar
- Mar 12, 2023
- 1 min read
By Dr MohammadHanif Saiyed
हम से अब तुम जीने के बारे में मत पूछना कुछ । जीना एक मरने जैसा काम है और मौत को जीना ही ज़िंदगी है । काफी अरसे से लग रहा है की सुफेद चादर में पैर समेट लूं की जिंदगी की ठंड से अब उंगलियों को निजात मिल जाए । खैर अब ये वो मसलें है जो अपने हाथ में नहीं, अपने हाथ में बस अपनी तकदीर है और कुछ नहीं । दिन बहोत तविल सफर में गुजरता है तो लगता है की मौत कहीं टकरा ना जाए और जान के लाले सफर में ही न पड जाए । फिर भी एक ही रफ्तार से जिए जा रहे है , इसी रफ्तार ने तो चींटी जैसे हर प्यारे लम्हों को कुचल दिया है , इसी रफ्तारकी वजह से पास से निकले हर सजर जिन्होंने हाथ हिला के हाथ मिला के दोस्त होने का वादा किया उन्हे भी बीच राह छोड़ आया हूं । क्या तुमने कभी अपने पैरो के नीचे किसी चींटी को मरा हुआ पाया है या कोई सहर के बाहर किसी चाहने वाले को अपना हाथ हिला कर मुस्कुराते हुए जाने दिया है तो सच मानो तुम ज़िंदा आदमी नहीं हो ।
By Dr MohammadHanif Saiyed

Comments