By Karan Bardia
बहुत दूर निकल आये हम तब ये एहसास हुआ कि इतना ज़रूरी भी नहीं था काम रुका भी जा सकता था,
भागते रहे हम उस मंज़िल के पीछे जो खुद ढूंढली थी तो ये समझ आया मंज़िल पाने की इतनी भी जल्दी नहीं थी उसकी तरफ़ आराम से भी बढ़ सकता था,
हम सब बस चल रहे हैं दुनिया की भेड़ चाल में,
कहीं अटके तो समझ आया कि अलग हटकर भी चला जा सकता था।
आज एक मुकाम पर पहुंच गए हैं तो ये समझ आया कि थोड़ी मस्ती थोड़े मज़ाक के साथ भी यहां पहुंचा सकता है,
वक्त इतना लगा दिया हमने सिर्फ़ पढ़ाई और पढ़ाई के पीछे कहीं ना कहीं खेल कूद पर भी ध्यान दिया जा सकता था,
हम तो दुनिया की बातों में आ गए अब क्या ही कहें इस बारे में,
आज ज़िंदगी में जब रुक कर पीछे देखा तो लगा खुद की बातों में भी आया जा सकता था।
आज पैसा कमा लिया, अपना घर बना लिया, अपनी गाड़ी खरीद ली तो समझ आया कि कभी सोलो ट्रिप पर भी जाया जा सकता था,
सबकी ख्वाहिशों को एक तरफ़ रख कर खुद के बारे में भी सोचा जा सकता था,
माना कामयाब होना बहुत ज़रूरी है इस दुनिया में,
पर आज कामयाब हुए तो समझ आया कि खुद की खुशी पर भी ध्यान दिया जा सकता था।
इंडिपेंडेंट होने की हद में इतना अकेला हो गया तब समझ आया कि अपनों के साथ रहकर भी इंडिपेंडेंट हुआ जा सकता था,
पैसा और काम इतना भी ज़रूरी नहीं है अपने-अपनो और दोस्तों के लिए भी वक्त निकाला जा सकता था,
अपने पीछे छूटते जाते हैं ये बड़ा ही बकवास है दस्तूर है दुनिया का,
आज स्वतंत्र होने के चक्कर में अपनों से बिछड़कर समझ आया कि रिश्तों को भी निभाया जा सकता था।
प्यार व्यार के लिए जिंदगी पड़ी है ये सोच आज जब अकेले रह गए तो समझ आया कि उस दिन जिंदगी में रुककर उस लड़की से प्यार भी किया जा सकता था,
शायद आज थोड़ी काम बेहतर होता जिंदगी पर उस जिंदगी में भी जिया जा सकता था,
अब रो कर टूट कर कोई फ़ायदा नहीं,
आज मौत के द्वार खड़े हैं तो समझ आया कि ज़िंदगी को और बेहतर तरीके से जिया जा सकता था।
By Karan Bardia
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