Ummid
- Hashtag Kalakar
- Mar 12, 2023
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By Mohini Patel
आज चेन की सांस लेते हुऐ मैं अपने खंड की अगाशी बेठी हूं अचानक मेरी नज़र बरामदे में लगें नीम के पेड़ पर जा ढहरी। नीले नीले पतों से सज़ा वह पेड़ पता नहीं क्यूं मेरी नज़र का आकर्षण बिन्दु बना।
उस पेड़ को निहारते ही उसकी एक डालीं जेसे पानखर का प्रतिक हो पतौ के बगेर टोच पर अकबंध थी। वहीं मैं ने एक सुंदर सा पक्षी दीखा ।वह काग या कोयल नहीं है यह उसे देखते ही जाना पर अजिब बात यह है कि वह कौन-सा पक्षी है वह में पहेचान न पाईं। वह काफ़ी देर से वहीं टीका है बस बैठे हुए इघर उघर देख रहा शायद वह किसीका इंतजार कर रहा है।
काफ़ी समय बित चुका है अब तक कोई हलचल नहीं हुई । मुझे लगता है मैंने गलत धारणा की है अब मूजे अपना घ्यान हटाना चाहीए । मैं थक कर जाने लगी हूं पर वह तो अभी भी वहीं है अरे ये क्या एक बच्चा अपने पिता को ले आया है साथ कैंची भी है और वह पक्षी को दीखाके कुछ बातें करने लगे हैं शायद वें उसे भगाने वाले हैं पर वह पक्षी नहीं हटा अभी उन्होंने कैंची आगे बठाई । वह पक्षी( मुझे डर लगा) में कुछ बोलतीं उसके पहले उन्होंने कैंची चला दीं। मैं ने अपनी आंखें डर से बंद कर ली।।
आंख खुली तो देखा कि वह पक्षी को नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे। उस के पैर में मांजा फंसा हुआ था वहीं निकाल रहे थे। में ने राहत की सांस ली। अब वह पक्षी एक डालीं से दूसरी पर खुशी से झूम उठा जेसे वह आजादी का इंतजार कर रहा था और वो मिल गयी।
वह पक्षी बच्चे के पास गया और अपने पंखों को फड़ फडाया शायद वह धन्यवाद कर रहा था उनका। उसकी ऊमिद रंग लाई।
By Mohini Patel

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