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Ummeed

By Vaishali Bhadauriya


उम्मीद भी क्या खूब होती है

जिससे लगाओ, वो पूरी करता नहीं

और जिसको दो, वो जिंदगी में

तुम्हारे लिए दो पल ठहरता नहीं


ख्वाबो को समुन्दर बहा ले गये

और आंसुओं को भी बारिशों ने धो दिया

गामो को झूठी मुस्कुराहटों में छुपा लिया

और जिंदगी के शोर को अकेलेपन ने दफना दिया



सुकुन की खोज में अपनों को भूल गए

और अपनों ने भी हमें पराया बना दिया

धूप से बचने को जुल्फों का सहारा लिया

लोगो ने हमें बेशरम और बदहया बना दिया


भरनी चाही जो उड़ान आसमान को

पंखों ने भी आखिरी अलविदा किया

एक घर की तलाश में ना जाने कितने

मकानों ने रिश्तों को ही शर्मिंदा किया


हम जिंदगी की कश्ती पर सफर तय करें

उससे पहले ही ज़िम्मेदारियाँ ने

किन्नरों पर लाकर खड़ा किया

छाव की तमन्ना में हमने भी

हार कर धूप से ही दिल लगा लिया


By Vaishali Bhadauriya



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