Tumhare Intezar Mein
- Hashtag Kalakar
- Mar 10, 2023
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By Suparna Kudva Nair
जिंदगी की धूप छाऊ में,
कुछ हम खिले भुजे से,
कुछ तुम भुजे खिले से,
मरासिम इन गतबंधनो का,
कभी झिलमिल सितारो सा,
कभी आँधी और तूफ़ानो सा|
हम दोनो निकले थे एक राह पर,
आज भी, खड़ी हूँ, उसी राह पर,
ना बदली वो राह है,
ना बदली ये दिल की चाह है,
चाहा था तुमने हमको,
चाहा था हमने तुमको,
साथ जीने मरने की कसम खाई थी,
लेकिन, इस राह पर तुम आगे निकल गए|
इस जिंदगी की धूप छाऊ में,
आज भी वही खड़ी हूँ, उसी मोड़ पर,
तुम्हारी वापसी के इंतजार में,
और वही रुकी रहूंगी,
तुम्हारे लिए,
भले ही बित जाए सदियां या बदल जाए जमाना,
तुम्हारे लौटने की उम्मीद में |
By Suparna Kudva Nair

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