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Today's Column

By Sherlly Reecha


मै आप लोगों की लेखिका

अखबार में मैंने कभी मेरे लिखावट की प्रस्तुति नहीं किया

यह पहले बार लिखित भेजा है

तो ये लिखावट को अगर आपका प्यार मिले, आशा यही करती हुई।

आज में जिस विषय पर लिखा है है वह बहुत खास है मेरे लिए!

एक लेखक क्रांति का पर्याय है, भवनों से जड़ित विचारो का संग्रह,

शब्दों का संगम जब कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ थे नज्म ख़याल भी

ख़ामोशी भी है ये आवाज भी है




सफर में ऐसे कई मरहले भी आते हैं हर एक मोड़ पे

कुछ फलसफा का आरजू भी है वो सर्द धूप

रेत समुंदर के बीच दिन-रात थे मेरे यादें

सफल एक मुद्दत से सोच भी आयी ना हमें कोई मंज़िल के क़रीब

आ के भाटक नहीं कोई मंजिल के पहुँचती है भाटक जाने से नहीं

ग़ज़ल के पीछे छुपी आज़ाद वर्णन सपने का

अपनी एक नयी सोच व्यक्त करे!


By Sherlly Reecha




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