By Priyanka Gupta
"श्रेय ,फूल पौधों पर ही ज्यादा अच्छे लगते हैं । ",फूल तोड़ रहे अपने 7 वर्षीय बेटे से नमिता ने कहा । नमिता की बात पूरी होने से पहले ही श्रेय फूल तोड़ चुका था ।
"मम्मा ,दादी ने भी अभी वह वाला फूल तोड़ा था । ",श्रेय ने गुड़हल के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा ।
"बेटा ,मम्मा दादी को भी समझाएगी । मधुमक्खी अपना भोजन फूलों से ही प्राप्त करती है । अब अगर फूल पौधों पर नहीं होंगे तो मधुमक्खी ,तितलियाँ आदि अपना भोजन कहाँ से प्राप्त करेंगे ?",नमिता ने श्रेय को समझाते हुए कहा ।
नमिता ने स्वयं ने भी तो फूलों को न तोड़ने का सबक कॉलेज में आकर ही सीखा था । एक बार एक मशहूर प्रकृति प्रेमी और वृक्षों के रक्षक शख्श नमिता के कॉलेज में आये थे । उनका स्वागत जब पुष्पहार से किया गया ,तब उन्होंने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि ,"इससे अच्छा तो मुझे आप मूँगफलियों से बनी हुई माला ही पहना देते । पर्यावरण सन्तुलन और संरक्षण के लिए फूल पौधों पर ही रहने चाहिए । फूल कीड़े ,तितलियों ,पक्षी आदि ही नहीं मानवों तक को भोजन उपलब्ध करवाते हैं । "
उस दिन से नमिता ने फूलों को तोड़ना बंद कर दिया था । नमिता तो शुरू से ही प्रकृति प्रेमी थी ,फूल सिर्फ उसे पसंद नहीं थे ;बल्कि फूलों से उसे प्यार भी था ;इसलिए उसने प्रकृति प्रेमी शख्श की बात को गंभीरता से लिया ।
वह अपने बेटे श्रेय को भी यह सब सिखाना चाहती थी । बागवानी की शौक़ीन नमिता ने अपने घर में एक छोटा सा बगीचा बना रखा था । श्रेय के दादाजी भी बगीचे की देखभाल में पूरा सहयोग करते थे । नमिता श्रेय को जब -तब पेड़- पौधों की देखभाल करने के लिए समझाती रहती थी । नन्हा श्रेय भी कभी पौधों को पानी देता ,कभी पौधारोपण में मदद करता ,कभी हाथ में खुरपी लेकर गुढ़ाई करता ।
पौधों की देखभाल करता हुआ श्रेय कभी-कभी फूल तोड़ लेता था और कभी पत्तियाँ तोड़ लेता था ।
नमिता समझाती ,"श्रेय पौधे अपना खाना पत्तियों के माध्यम से ही बनाते हैं । अगर हम पत्तियाँ तोड़ लेंगे तो पौधे अपना खाना कैसे बनायेंगे ? "
"मम्मा ,अब से फूल नहीं तोडूँगा । ",श्रेय ने आज भी हमेशा की तरह नमिता से कहा ।
"ठीक है ,बेटा । फूल रहेंगे ,तब ही हमारे बगीचे में तितलियाँ आएँगी और आप तितलियों के पीछे भाग सकोगे । ",नमिता ने प्यार से श्रेय के बाल सहलाते हुए कहा ।
"चलो ,अब अंदर चलो। सूरज अंकल भी अपने घर जा रहे हैं ,अन्धेरा होने लगा है । ",नमिता ने श्रेय से कहा ।
श्रेय मम्मा की बात मानकर ,मम्मा के पीछे -पीछे घर के अंदर आ गया था । अपना डिनर करके ,श्रेय जल्दी ही रोज़ की तरह सोने चला गया था ताकि सुबह समय पर जागकर ,स्कूल बस के आने से पहले स्कूल के लिए तैयार हो जाए । श्रेय को रोज़ की तरह दादी ने सोने से पहले कहानी सुनाई ।
सूरज की किरणों ने श्रेय को जगाया । श्रेय उठकर कमरे से बाहर आया ,उसे घर में कोई नहीं दिखाई दिया । वह भागकर बाहर बगीचे में गया ।
जैसे ही वह बगीचे में पहुँचा ,बहुत सारी मधुमक्खियाँ और तितलियाँ उसके चारों तरफ मँडराने लगी । वह कुछ समझता ,तितलियाँ और मधुमक्खियाँ एक -एक करके नीचे गिरने लगी । कुछ ही मिनटों में ,वहाँ तितलियों और मधुमक्खियों का पहाड़ से बन गया था ।
श्रेय को कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसने मम्मी -पापा ,दादा -दादी को पुकारा ,लेकिन उसकी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी ।
श्रेय को एक टाइगर तितली नज़र आयी । श्रेय ने उसे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ; तितली उड़कर नहीं भागी ,बल्कि आसानी से श्रेय की पकड़ में आ गयी ।
"श्रेय,सारे फूल नष्ट हो गए ;न जाने कौन आया और सारे फूल तोड़कर ले गया ।हमारे केटर पिलर को फूलों का रस नहीं मिल रहा और इसलिए केटर पिलर बड़े होकर तितली नहीं बन पा रहे । हमें भी पोषण नहीं मिल रहा है और हम सब बीमार हो गए हैं और उड़ नहीं पा रहे । ",टाइगर तितली ने कहा और कहते-कहते वह भी नीचे गिर गयी ।
श्रेय ने चारों तरफ नज़रें घुमाई ;उसे कहीं पर एक भी फूल नज़र नहीं आया । वह अपने घर से बाहर निकला ;उसे रास्ते में जगह -जगह कीड़ों ,तितलियों ,पक्षियों के ढेर नज़र आये । पक्षियों की आँखों में आँसू भी साफ़ दिख रहे थे । कुछ दूर जाने पर उसे मम्मी -पापा नज़र आये ।
"मम्मा ,यह क्या हो गया ?",श्रेय की आँखों में भी आँसू थे ।
"बेटा ,मैंने सभी को बहुत समझाया था कि फूलों को मत तोड़ो । ",नमिता ने श्रेय को गले लगाकर कहा ।
"अब हम क्या करें ? मुझे तितलियों के पीछे भागना है । ",श्रेय ने मासूमियत से कहा ।
"हम सब फिर से पौधों की अच्छे से देखभाल करेंगे । दूसरे शहर से फूलों वाले पौधे लायेंगे । ",श्रेय के दादाजी ने कहा ।
"और मैं न तो कभी फूल तोडूँगा और न ही पत्तियाँ तोडूँगा । ",श्रेय ने कहा ।
"वादा करो ,श्रेय । ",नमिता ने श्रेय से कहा ।
"नहीं तोडूँगा मम्मा । आप तितलियों को ले आओ । ",श्रेय ने कहा ।
"श्रेय ,उठो बेटा । नींद में क्या बड़बड़ा रहे हो ? किसे लाना है ?",नमिता ने श्रेय को नींद से जगाते हुए कहा ।
श्रेय अपनी आँखें मलते हुए ,बिस्तर पर उठकर बैठ गया । मम्मा उसके सामने ही बैठी थी । वह भागकर बगीचे में गया । बगीचे में पक्षियों के कलरव की आवाज़ आ रही थी । बगीचे में गुलाब ,सदाबहार ,लिली ,गुड़हल आदि के फूल मुस्कुरा रहे थे ।
"क्या हुआ ?",नमिता श्रेय के पीछे -पीछे आ गयी थी ।
"मम्मा ,आज के बाद मैं पौधों से न तो फूल तोडूँगा और न ही पत्तियाँ । मुझे तितलियों को बचाना है । ",श्रेय ने नमिता से कहा ।
"क्या कोई सपना देखा ?",नमिता ने पूछा ।
"हाँ मम्मा । अब मैं आपकी बात अच्छे से समझ गया हूँ । "
"मेरा राजा बेटा ,चलो अब जल्दी से स्कूल के लिए तैयार हो जाओ । ",नमिता ने कहा ।
लेखक -परिचय
अभियांत्रिकी की शिक्षा प्राप्त कर भारतीय सिविल सेवा जैसी कठिनतम परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने छोटे -छोटे क़दमों से प्रवेश करने वाली, प्रियंका का जन्म 7अगस्त को राजस्थान के भाण्डारेज (दौसा )ग्राम में हुआ था। प्रियंका का बाल कहानी संग्रह 'गोलगप्पे 'वर्ष २०२३ में प्रकाशित हुआ है ।
स्वघोषणा
' तितलियाँ’ बाल कहानी स्वरचित ,मौलिक और अप्रकाशित है ।
By Priyanka Gupta
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