By Rachna
ठहर जाओ
यूं भीड़ में खुद को न गंवाओ
जब मन आवारा परेशान रहे
भीतर उठा तूफान रहे
फैसले भी थोड़े नादान रहे
तो ठहर जाओ
जब अपना अस्तित्व खुद से अनजान लगे
इस जाने पहचाने चेहरे में
कोई अजनबी इंसान लगे
तो ठहर जाओ
जब मंजिल थोड़ी दूर दिखाई दे
रास्ते मुश्किलों की गवाही दें
जब हौसलों की लगाम थमने लगे
हर कोशिश नाकाम लगने लगे
तो ठहर जाओ
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जब मैं “ तुम पर हावी हो
जब बदले तुम्हें अपने अंदाज लगें
जब हर अपना नाराज लगे
तो ठहर जाओ
अगर घिर रहे हो शक के साये में
फर्क ना समझ आए अपने पराये में
जब सही गलत एक समान लगे
तो ठहर जाओ
जब खुद को कश्मकश में पाओ तुम
थोड़ा ध्यान लगाओ तुम
कुछ बातों पर सवाल उठाओ तुम
क्या हुआ कुछ वादे अधूरे रह गए तो
क्या हुआ कुछ सपने टूट गए तो
क्या हुआ अगर कोई साथ नहीं
किसी को तुम्हारी अहमियत का एहसास नहीं
कोई गया अगर तुमसे रूठ के
ये सफर अधूरा छोड़ के
शायद उनकी मंजिल नहीं हो तुम
पर नहीं होती इन बातों पर जिंदगी खत्म
बेशक ये सफर नहीं आसान
पर ये अंत नहीं मेरी जान
इसलिए थोड़ा ठहर जाओ
यूं भीड़ में खुद को न गंवाओ.. ।
By Rachna
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