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Saara Saara Din(सारा सारा दिन)

Updated: Dec 3, 2022

By Amit Sharwa





सारा सारा दिन तेरे ही बारे क्यों सोचें मेरा मन

ज़ेहन को लगी तेरी आदत बुरी क्या इरादा बता


सारा सारा दिन तेरे ही सांसो की जपने लगा धून

नगमा जो लिखने में बैठो तो तेरा ही जिक्र क्यों आता भला



बहानों टटोलता के तुझसे आकर कह सकूं के,

तुझको कितना चाहूं मैं


वक्त की तो बात ही नहीं ये मेरा डर मुझको रोके,

दो कदम भी चल ना पाऊं मैं


ख्वाबों में मेरे क्या चलता है ख्वाबों में ही आके,

तुझको बताता हूं


अक्सर यूं ही बैठे बैठे खयालों में तेरे कई,

मीलों चला हूं मैं




घर की जरूरत है क्या,

जब छांव मिले तेरे बाहों की


मंजिल जब साथ ही चले तो,

फिक्र मुझे क्यों हो राहों की


गर तेरे लफ्ज़ कहे झूठ,

पढ़ लूंगा बातें निगाहों की


जो तेरे ओर चले ना,

बगावत से रुख मोड़ दूंगा हवाओं की



सारा सारा दिन तेरे ही बारे क्यों सोचें मेरा मन

ज़ेहन को लगी तेरी आदत बुरी क्या इरादा बता


सारा सारा दिन तेरे ही सांसो की जपने लगा धून

नगमा जो लिखने में बैठो तो तेरा ही जिक्र क्यों आता भला



अगर मुझको होती खबर ये तेरी खामोशियां,

है कोई साजिशें


बंजर जमीन सा ही रहता पर तुझसे ना रखता,

बूंदों की ख्वाहिशें


तेरे ज़ेहन में मुझको मिला ना हमदर्दी का,

कतरा भी


पूरे जिस्म से छोड़ उम्मीद वफा की ना रखता,

परछाई से



सारा सारा दिन तेरे ही बारे क्यों सोचें मेरा मन

ज़ेहन को लगी तेरी आदत बुरी क्या इरादा बता


सारा सारा दिन तेरे ही सांसो की जपने लगा धून

नगमा जो लिखने में बैठो तो तेरा ही जिक्र क्यों आता भला


By Amit Sharwa





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