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Pyaar Ka Tofa

By Laxmi Guria



अपने कमरे से निकलकर, अपनी बायीं कलाई में उसकी दी हुई घड़ी पहने, धीमे-धीमे कदम लिए वह सीढ़ियों से नीचे उतरती है। अपने छोटे-छोटे हांथों से अपने लम्बे काले बालों को सवारती है। उन्हें एक साथ समेटकर वह किसी का नाम अपनी उँगलियों से लिखकर, उसे कॉल करती है,


"करण, कहाँ हो तुम?" वह निराश शब्दों से उससे कहती है।

"हैप्पी बर्थडे, माय लव!" करण उत्साह के साथ उसे जन्मदिन की शुभकामनाये देता है।

"हाँ? हाँ, थैंक यू! पर कहँ हो तुम?" मीरा चिंतापूर्वक उससे पूछती है।

"क्या? क्या कहा तुमने?"

"मैंने पूछा कब आ रहे हो? सब आ गए हैं करण, पर तुम कहाँ?"

"हाँ, उसके बारे में......। मीरा, एक्चुअली।" करण मंद आवाज़ मे।

"हाँ, क्या? काफी शोर है यहाँ, माफ़ करना।" मीरा अपने कानों को ढकती हुई कमरे के एक कोने में जाकर करण से बात करने की कोशिश करती है।

"सॉरी, पर शायद में आज....।"

"बेटा ,तुम्हारा सब इंतज़ार कर रहे हैं।" मीरा की माँ उसी वक्त उसे खोजती हुई आती है।

"आती हूँ, माँ। जस्ट ऐ मिनट।"

"ओके, जल्दी आन।"

"करण, करण? कॉल कब काटा इसने?"






उसी पल करण का मैसेज आता है,

'सॉरी, माय लव। मुझे माफ़ करना मीरा। मैं जनता हूँ यह दिन तुम्हारे लिए कितना स्पेशल है पर मुझे समझने की कोशिश करो। अगली बार पक्का, ठीक है? आई लव यू।'

मीरा करण के इस भेजे सन्देश को देखकर और भी उदास हो जाती है।


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चमकते सितारों से भरे कमरे में, चारों दिशाओं से अपनों ने घेरा उसे। मीरा भी उनके प्यार भरे नज़रों से नज़रें मिलाकर मुस्कराने लगी। सबके सामने खड़े होकर, अपने लटों को सवारती हुई, कुछ काले कुछ भुरे; अपने पलकों को नीचे कर वह अपना नाम सामने रखे बर्थडे केक पर लिखा देखती है। अंत में, वह आँखों को बंद करके, हलकी साँसे भरके, धीमी आवाज़ में करण को पुकारती हुई उसे याद करती है और जलते कैंडल्स को भुजाती है। तालियों और ठहाकों की बौछार पूरे कमरे में गूंजने लगती है।

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मीरा अपने कमरे में आती है। खुशियों से भरे उपहारों को वह बिस्तर पर रखकर, थके-हारे क़दमों से उसी बिस्तर पर लेट जाती है। वह करण को कॉल कोशिश करती है पर न जाने क्यों वह नहीं उठता है। कॉल न लगने पर उसकी आँखों से आंसू छलकने लगते हैं।


कुछ घंटों बाद...

उसकी नज़रें उसके फ़ोन में आये मैसेज पर पड़ती है और वह पढ़कर अपने होश खो बैठती है। उसके ख़ुशी का ठिकाना न रहता और वह भागती हुई नीचे जाती है और घर के मैन दरवाजे को खोलती है। उसकी आंखें सामने पड़े गिफ्ट पर पड़ती है, वह उसे उठती है और उसके साथ रखे खत को देखकर आश्चयर्चकित हो जाती है।

'मैं उसे कैसे भूल सकता हूँ जो मेरी ज़िन्दगी का पहला और आखिरी अक्षर है। आज भी मुझे याद है तुम्हारे उस 'ना' में 'हाँ' का मिलना। क्या करता तुम थी ही अपनी चुप्पी में रहनेवाली और मैं ठहरा तुम्हारी हर हंसी की वजह बननेवाला। तुम से गपशप करने के बहाने धुनता था पर न जाने कब तुम्हारी बातों में डूबता चला गया। 'प्यार करता हूँ तुमसे और तुम?' लगा नहीं था तुम इतनी जल्द ना कहकर यूँ चली जाओगी। दिल ही थोड़ दिया था तुमने कसम से। खड़े-खड़े दिल टूटने का अहसास जानती हो- मुझसे पूछो आवाज़ तक नहीं निकलती है। पर हद्द करती हो तुम कुछ दिन तुम से क्या दूर रहा तुमने तो सोच ही लिया था 'फाइनली, पीछा छूटा इस बन्दर से।', क्यों नहीं सोचा था? तुम्हारी वह नादानी थी या चालाकी, मैं आज तक नहीं समझा पर इतना ज़रूर समझ गया कि तुम्हे अपने प्यार का अहसास कराना आसान नहीं और मुझे यह मंज़ूर है। सच्चे प्यार में दुबे आशिक़ों को इतना कम न समझो मेरी जान, क्योकि हार मानना हमने कभी सीखा ही नही।

तुमने कभी मुझे अपने करीब आने न दिया पर फिर भी मैं तुम्हारी ओर खींचा चला गया, तुमने कभी अपने प्यार का इज़हार न किया पर फिर भी मैं तुम्हारी ख़ामोशी पढ़ता गया। वक्त लगा, सच कहूं तो बहुत इंतज़ार करवाया तुमने मुझे पर आखिर जीत सच्चे प्यार की ही हुई, क्यों? जस्ट किडिंग! मीरा, आई लव यू। जानता हूँ इस मामले में तुम थोड़ी कच्ची हो जैसा की तुम अपने आप को 'पागल' कहकर पुकारती हो पर यह जान लो तुम्हारे अलावा और तुम से बेहतर कोई न प्यार दे सकता है और न कर सकता है। जितनी ख़ुशी मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे आने से आयी है उतना खुश मैं कब हुआ था मुझे याद तक नहीं। माफ़ करना तुम्हे परेशान किया पर लोगों को यह बताना ज़रूरी है कि तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारा वक्त भी सिर्फ मेरा है।

सो प्लीज, जल्द से तैयार होकर उस महल में आओ जहाँ मैं तुम्हारा बेसबरी से इंतज़ार कर रहा हूँ। तुम्हारा, करण।'

मीरा समझ गयी थी की वह उसे कैंपस के पीछे वाले स्टेज पर मिलेगा | करण का उस जगह को महल कहना नयी बात नहीं थी क्योकि उसके हिसाब से उसे उसकी सपनो की राजकुमारी वहीँ पर मिली थी।


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आसमानी जुगनुओं से भरे काले रंग में डूबे, कुरता-पैजामा पहने, करण मीरा का अधीरता से इंतज़ार करता है जहाँ उसकी मुलाकात मीरा से पहली बार हुई थी। बेचैन भरे निगाहों से वह उसकी तलाश में बह जाता है, मनो उसकी कदमे ठहरना ही भूल गयीं हो। वह हर घड़ी अपने बांई कलाई में पहने कीमती घड़ी को देखकर वक्त को कोसने लगता है। वक्त के साथ-साथ इंतज़ार कि घड़ी भी बढ़ने लगती है और निराश होकर उसका सर झुकने लगता ही है कि उसी पल उसे कोई जोर से पुकारता है,

"करण!"

लाल लहंगे में बन ठनके, पैरों में घुंगरू पहने और कानो में सुनहरे झुमके लिए, मीरा सीढ़ियों से उतरकर, जलते दीयों से उत्पन हुए रौशनी को पार करके करण के पास आती है और उसे कसकर गले लगाती है। करण भी उसे देखकर ख़ुशी से अपनी बाँहों में उसे ले भरता है। घंटो भर का इंतज़ार मनो उसने कब का भुला दिया हो, मीरा के आते ही मनो उसकी सांस में सांस आ गयी हो।


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मीरा और करण आखिरकार साथ आ ही गए, पुरानी यादों को ताज़ा करते-करते उन्हें वक्त का पता न चला। वे एक दूसरे के बगल बैठे, हांथों में हाँथ डाले तारों को बस निहारते रहे मनो वह पल जैसे उनके लिए थम सा गया हो। उसी वक्त करण अपने दाएं हाँथ में छिपाई छोटी सी लाल डिब्बी को मीरा के सामने अचानक ले आता है। मीरा उसे देखकर हैरान रह जाती है, मनो उसकी आँखें उसे धोखा दे रहीं हों। वह करण से बार-बार सवाल करती पर करण उसे कुछ न बताता। वह आस भरे आँखों से डिब्बी को खोलती है पर उसे खाली देखकर वह निराश हो जाती है। वह उठकर वहाँ से जाती ही है कि करण उसकी बायीं कलाई पकड़कर उसे रोक लेता है। एक घुटने में बैठे, हाँथ में एक खूबसूरत सी अंघूटी लिए वह उससे कहता है,


"मैं पूरी ज़िन्दगी तुम्हारे नखरें झेल लूंगा, तुम्हारी हर नाराज़गी को प्यार में बदल दूंगा। आज यह वादा करता हूँ तुमसे, तुम्हारी हर सुबह मैं बनुगा और जिस रात के सुकून को तुम खोजती हो मेरी जान, मेरे सीने पर जब तुम अपना सर रखोगी और मेरी बाहों मैं जब तुम यूँ पिघलेगी, उस सुकून पर हक्क सिर्फ तुम्हारा रहेगा। मिस मीरा ठाकुर, क्या आप इस जोकर के साथ कुछ और नयी यादें बनाना पसंद करेंगीं? विल यू मर्री मी?"

कुछ महीनो बाद मीरा और करण की शादी बड़े धूमधाम से होती है मनो जैसे उनका सपनो का महल आज हकीकत बन गया हो।


By Laxmi Guria





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