Protidine' (Assamese For Daily)
- Hashtag Kalakar
- Oct 24
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By Aman Sonam
प्रतिदिन मोहब्बत-ए-हक़ीक़त शौक़ से भरे।
मेरी दीवानगी, जुनून, ये उन्माद — सभी आपके शौक़ में जीए।
ज्यों तू संग रहे — माने सियाह रात भी ज़ुल्मत-ए-तन्हाई कड़े न लगे।
अब इसमें मेरी क्या ख़ता है — कि तू वही बेख़ुदी है,
जो फ़ना करने पे भी रूह की महफ़िल में साक़ी-रूपी समा है।
उफ़! ये बेचारा मन मेरा!
इसे आख़िर समझाए कौन? पीर नहीं — न कोई तीर यहाँ —
प्रतिदिन स्वप्न में ही सरगोशि यहाँ।
By Aman Sonam

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