By Shaily Thaker
हिंद है ये हिंद है, सोने की चिड़िया से हो चुका आज शेर है
वो दौर एक था ,ये दौर आज है
ऑखो में डाल ऑख विश्व की दहाडता ये रोज़ है.... हिंद है ये हिंद
धर्म हो या हो विज्ञान देता सबको ये मिसाल,
बन के हनुमान कष्ट हरता सब के रोज है…. हिंद है ये हिंद
हो भ्रष्टचारी दैत्य या काला बाजारी का कीडा,
पकड पकड के कोनोसे शिकार करता रोज है…. हिंद है ये हिंद
हो भूख जीत की या हो जूनून देशप्रेम का,
विश्वशांति के जंगलो में भटकता रोज है….हिंद है ये हिंद
हो भेड लोमड़ी या फिर हो कोई गिधड़ सदा,
घुस के दुश्मनो का पलमे नाश करता रोज है…. हिंद है ये हिंद...
बिना परवाह जान की, बिना निंदो के ऑंख की,
सदा सज्ज हाथियार सरहदो पे रक्षा करता रोज है… हिंद है ये हिंद....
By Shaily Thaker
Beautiful
Superb composition
Keep writing!
Beautiful! you have some great imaginations. keep it up!
Excellent poem by Shaily Thaker