By Jeeshant Mathur (Shayak)
इस रात हैं लेटी तबिश मेरी बाहों में यारो
इस बात कि ख़बर कोई सबको कर रहा हैं
कल का आने वाला था अब तक नही पहुंचा,
वोह कौन हैं जो इतना लंबा सफर कर रहा हैं
लाखों दफा बेझिझक मैं ज़हर पीता रहा हु,
पर तेरे हाथों का पिलाया हीं असर कर रहा हैं
जो लगे हैं सादिश में मुझको खत्म करने कि
खुद मरने वाला तो कबसे यह सादिश कर रहा हैं
इस नाक़िस ए जहान में कहीं खुदा नही मौजूद
दिलाने यकीन तेरा ज़िक्र वोह सबसे कर रहा हैं
अब शस्त्र उठाओ पार्थ यह धर्म युद्ध हैं
तीर का इंतजार निशाना कबसे कर रहा है
युग बीत गए दुर्योधन पर एक तेरी जात ना बदली
अब हर क्षण दुशासन किसी नारी का चीर हर रहा हैं
By Jeeshant Mathur (Shayak)
Comentários