Mogra
- Hashtag Kalakar
- Sep 11
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By Dr. Seema Varma
शोभित हरित वर्ण पत्रों में
श्वेतवर्णी मुक्ता अभिराम,
सुंदरता के अल्हड़ चित्रों में
सज्जित ज्यों सुंदर मुस्कान।
तनिक न चिंता दिखती थी
मुक्ता न जब मुस्काते थे,
‘समय पर हम मुस्काएंगे’
धैर्य का पाठ पढ़ाते थे।
अभिन्न वर्णी पुष्प संग
झूम-झूम मदमाते थे ।
शीत ऋतु में बाग-बगीचे
मधुर गीत भी गाते थे।
अरे मोगरे श्वेत वान
तनिक न रखते अभिमान
सुन्दर तन रखते हो जितना
मधुरतम उससे तेरा गान।
बलिहारी जाऊँ गंध पे तेरी
और कितने सुंदर तेरे नाम
पुकारूँ बेला या मोगरे से सुंदर
सुगंध तेरी नासाभिराम।
By Dr. Seema Varma

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