Mitti Se Bane Hum Tum
- Hashtag Kalakar
- Feb 10, 2023
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By Kavita Sharma
मेरे घर के एक कोने में
मिट्ठी से भरा एक बड़ा सा बर्तन है
मैं हर रोज उससे नए किरदार बनाया करती हूं
उसमे से कुछ सुंदर, कुछ बहुत सुंदर ,कुछ थोड़े बेडौल, कुछ लंबे कुछ मोटे बन जाते है पर मैं उन्हे फिर ,बहुत सुंदर रंगों से रंग देती हू
कुछ खुद को लेके बहुत खुश होते है
और कुछ अभी भी उदास है।
(अब मैने इन्हे सूखने के लिए अकेले छोड़ दिया है )
एक दिन मैंने चुपके से उन सब किरदारों की बाते सुनी,
वो बोल रहे थे
अरे यार हम सब उस घड़े में पड़ी मिट्टी से ही तो बने है
क्या खूबसूरत क्या बदसूरत एक दिन फिर उसी मिट्टी में तो मिलना है
फिर दूसरे किरदार ने कहा -हर किसी मे होती है खामिया तभी तो वो तपता है धुप मे फिर पकता है आंच मे फिर निखर के बाहर आता है
तभी अचानक हवा के झोंके से वहा पड़ा एक गुलदस्ता गिर जाता है
कहता है -लो भाई हम तो चल पड़े हवा के साथ
ये सुन वहा के सभी किरदार ठहाके मार के हसने लगे
वहा खड़ी मैं भी मुस्कुरा दी
और मुझे देख वो फिर से अपनी मुद्रा में लीन हो गए
By Kavita Sharma

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