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mann toh ha chanchal sa panchi
By priya Jain
मन तो है चंचल सा पंछी……
मन तो है चंचल सा पंछी,
उड़ने को उड़ जाता है,।।
कहीं दूर आसमानों पर ,
सारे सपने सजाता है,।।
ये बाबरा है उन कलियों सी,
जो खिल उठती है उन कांटों में,।।
चंचल ये उन नदियों सी,
जिन्हें राह की कोई खबर नहीं।।
बिन कहीं ये वो पवनो सी ,
जो जाने कहां से आती हैं,।।
अब इनको कौन बताएगा ,
ये जगह नहीं उन सपनों सी,
जिनमें वो खोई रहती है।।
मन तो है चंचल सा पंछी,
उड़ने को उड़ जाता।।
By priya Jain