By Shraddha
ओ देश तेरी माटी का,
रंग-रग का मैं पहरा हूँ,
हूँ अर्पित कोटी कोटी,
मैं भारत का चहरा हूँ।।
सौ बार जन्म लूं तो भी,
हर बार तू ही हो समदम,
जख्मों को मेरे डर न अब,
बस हो माटी का मरहम।।
सच कर दूं ख्याब हर,
अब मेरा तू सफर,
तेरी माटी की ये खुशबू,
जो देर की युक के पल,
कोई दूजी न ब खबर,
एक तू ही है इधर,
तेरी माटी ..
तेरी माटी पे सवेरा, यही है रैन बसेरा,
गुजरे मेरा यहीं दिन, हरसफर,
लहराता ये आंचल, कभी बदरी तो बादल
हर दर्द से हो जाता बेखबर….
कभी आँच पड़े तुझपे तो भी महसूस मुझे हो रहा है
हर धड़कन तेरे साथ रहूं अब दिल ये मेरा कह रहा है…
By Shraddha
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