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Kya Baat Thi

Updated: Feb 6

By Karan Bardia


ये उमर बढ़ने के बजाये घाट जाती तो क्या बात थी,

ये दुनिया लालच के बजाय भाईचारे से चल जाती है तो क्या बात थी,

वक़्त का क्या है उसका पहिया तो चलता रहता है,

पर अगर हर ख़ुशी के पल पर ये दुनिया थोड़ी देर थम जाती तो क्या बात थी।


जिंदगी अगर बुढा‌‌‍‍पे से जवानी में चल पाती तो क्या बात थी,

हम जिंदगी में कष्ट से सुकून की तरफ़ बढ़ते हैं तो क्या बात थी,

जिंदगी तो बस मोहताज है चलती हुई सांसों की,

पर हर दर्द सहने पे अगर चंद सांसें बढ़ जाती तो क्या बात थी।


जिंदगी बस बचपन में ख़तम हो जाती तो क्या बात थी,

जिंदगी के किसी भी मोड़ पर जिंदगी रीस्टार्ट करने की एक कड़ी होती तो क्या बात थी,

जिंदगी तो बस जीवन और मृत्यु का खेल है और कुछ नहीं,

काश इस जीवन मृत्यु के बीच सिर्फ ख़ुशी ही ख़ुशी होती तो क्या बात थी।



बिना किसी बेमतलब की भागदौड़ के अगर जिंदगी कट जाती तो क्या बात थी,

हमारी बेसिक जरूरतों में ही मन को संतुष्टि मिल जाती तो क्या बात थी,

इतने साल जिंदगी जीकर समझ आया कि सुकून तो माँ की गोद में है,

अगर जिंदगी मां की‌ गोद में ही कट जाती तो क्या बात थी।


जहां चाहते वहां वक्त थम जाता तो क्या बात थी,

हर इंसान हसते-हसते ही मर जाता तो क्या बात थी,

इतनी मेहनत- मशक्कत करके क्या करना है,

जिंदगी तो सह और मात की बाज़ी है,

अगर वो यूही खेलते-खेलते बीत जाती तो क्या बात थी।


दुनिया पैसों की बजाए प्यार से चलती तो क्या बात थी,

पैसों से ज्यादा इंसानों का मोल होता दुनिया में तो क्या बात थी,

ये जिंदगी बस हर गलती को सुधार कर आगे बढ़ने का खेल है,

पर अगर हर गलती करने से पहले ही उस गलती की सीख मिल जाती तो क्या बात थी।


By Karan Bardia



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Dhanraj Jadhav
Dhanraj Jadhav
Jan 24
Rated 5 out of 5 stars.

"Your poem is truly captivating and holds a unique charm. Keep expressing your thoughts through your beautiful words. Looking forward to more!"

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Rupak Sarkar
Rupak Sarkar
Jan 20
Rated 5 out of 5 stars.

Amezing

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agarwalshriya94
Jan 20
Rated 5 out of 5 stars.

Great work

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Unknown member
Jan 20
Rated 5 out of 5 stars.

Amazing

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Aman Saraf
Aman Saraf
Jan 20
Rated 5 out of 5 stars.

Well written!

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