top of page

Kala-Manishee

By Mrs Aditi Kapeesh Agrawal


ये ब्रम्हांड एक गर्भ है , और सृजनशीलता उसकी कोख में पल रही उसकी मूल प्रवृती |

जब ये परिपक्व हो जाती है तो फिर जन्म लेती है कला |जब कला परिपक्व हो जाती है

तो फिर जन्म लेता है कला-मनीषी अर्थात कलाकार |कला का वो साकार जो की

उसका परिणाम भी होता है और प्रमाण भी |

कला , कलाकार की परिभाषा होती है

उसका वो बोध है जो निर्बाध है | कलाकार की मात्र अभिरुचि या कौशल ही नहीं अपितु

उसका औचित्य , उसकी कल्पनाशक्ती की समग्रता का भान है , उसके आत्ममंथन का

ग्रहण है, सतत मनन है , विचार सघन है | सौन्दर्य की अभिव्यक्ति है , कभी कलमकार

की शब्दों में आसक्ति, नटराज का नर्तन तो कभी मीरा के इकतारे से निकली भक्ती है|

ये सम्पूर्ण जगत कला का प्रतिबिम्ब ही तो है , उसका प्रतिमान ही तो है |


कला , कलाकार के भीतर विद्यमान असीम अप्रत्यक्ष संभावनाओं की प्रत्यक्ष प्रतिकृती

है ,जो कि उसकी प्रतिक्रिया में तब्दील होकर , प्रकृती का प्रारूप बन जाती हैं |आसमान

की तश्तरी में घुलते हुए रंगों में तो कभी ज़िंदगी के राग को स्वरबद्ध करते हुए निर्झर में

प्रतीत होती है | कभी रंगमंच कि जरूरत मे ढलते हुए नेपथ्य की भांती दिन और रात में

तो कभी किरदार कि जरूरत मे ढलते हुए अदाकार कि भांती सूरज , चांद और तारों के

रूप में व्यक्त होती है | कला सशक्त होती है |

“कला अपरिहार्य है ......... कला ,कला-मनीषी का पर्याय है”


By Mrs Aditi Kapeesh Agrawal







Recent Posts

See All
बलात्कार रोकने की चुनौतियाँ

By Nandlal Kumar बलात्कार रोकने की चुनौतियाँ अगर मैं अपनी बात बिना किसी भूमिका के शुरू करूँ तो कहना चाहूँगा कि  ये मामला खुली बहस का है। ...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page