top of page

Guddu

By Kavita Chavda


आज परूे १० साल बाद गड्ुडू अमरीका से लौटने वाला है। सारा परि वार इखट्टा हुआ है। सभी गड्ुडू से

मि लने बोहोत उत्साहि त है। सबु ह के १० बजे है। नानी सोच रही हैअब मेरा गड्ुडू कैसा दि खता होगा।

फूफा को ये जानने की उत्सकु ता हैकी वहां लोग कैसे जि दं गी जीते है। बआु सोच रही हैक्या लाया होगा

मेरे लि ए। मासा सोच रहे हैगड्ुडू कुछ डॉलर लाया हो तो अच्छा होगा, कुछ रूपे डॉलर से एक्सचेंज कर

लगंू ा, वि देश नहीं जा पाया पर मेरे पास भी तो डॉलर हो। मौसी अपनी वि देशी स्कि नकेयर कीट के

इंतजार में आज मॉर्निं गर्निं स्कि नकेयर रूटीन को रात पर टाले बठै ी है। चि टं ू वि देश की पढ़ाई से जड़ुे अपने

सवाल लि ए तयै ार है। चि कं ी को अपने आईफोन का इंतजार है। रूही हमेशा की तरह चपु , अपने आसपास

के माहोल से अलग, बालकनी के कोने में बठै सबु ह से अपनी कि ताब पढ़ रही है। गड्ुडू की मां मन ही

मन बड़बड़ा रही हैजसै े खबू बेचनै हो। गड्ुडू के पि ता एक घटं ा जल्दी एयरपोर्ट के लि ए नि कल चकुे है।

सनु ीता सबु ह 5 बजे से कि चन में अपने गड्ुडू बाबा के लि ए परूी तल रही है। कुछ घटं ों बाद दरवाज़ा

खलु ने की आवाज़ आई और गड्ुडू की मां बालकनी में भागते हुए गई। गाड़ी देखते ही आखं ों में आसंूके

साथ चि ल्लाने लगी ' अरे मेरा गड्ुडूआगया ' ।

गड्ुडूने नीली जींस और सफेद टीशर्ट पहनी हुई थी। चेहरे पर न मस्ुकान थी न उदासी। घर में आते ही

न वो कि सि से मि ला न बात की और सीधा अपने कमरे में जाकर कुछ घटं ों के लि ए बधं हो गया। सब

लोग अचरज में पड़ गए। सबके मन में कि तने सवाल, कि तनी उम्मीदें थी। कि सीको कुछ समझ नहीं

आया की क्या बोले, क्या पछू े, क्या करे। कुछ घटं ों तक परूे घर में सन्नाटा छाया रहा। सब अपने अपने

वि चार वि मर्श में लग गए।


मासा और फूफा को लग रहा था थक गया होगा। मासी और बआु की नज़र सामान पर टि की हुई थी, की

कब सटूकेस खलु े और उनका सामान उन्हें मि ले। चि टं ू ने सोचा कि कहीं भयै ा वहां से कोई ट्रॉमा के साथ

तो नहीं लौटे। चि कं ी उदासी से अपने दोस्तों को बता रही थी की अभी तक उसे अपना आईफोन नहीं

मि ला। रूही सबु ह से एक ही शकल बनाए अपनी कि ताब 'The Monk who sold his Ferrari' के आखरी

पन्नो तक आ चकु ी थी। गड्ुडू के पि ता ने सोचा की अपनी तरक्की की बातें जो करता रहता था फोन पर

कहीं जठू तो नहीं बोल रहा था, असल में कुछ गलती कर के तो नहीं लौट रहा। गड्ुडू की मां अपने आसं ू

नहीं रोक पा रही थी। सनु ीता सोच रही थी ठंडी परूी तो वो कभी नहीं खाता था बचपन में, तो अब क्या

खाएगा, क्या नया बनाऊं ।


एक घटं े बाद दरवाज़ा खलु ा और सब अपनी जगह खड़े हो गए, घबराएं से। गड्ुडू के चेहरे पर मस्ुकान

थी, दाएं कंधे पर एक छोटा मसै जें र बगै था और पांव में उसकी परुानी चप्पल थी। इसके पहले की कोई

कुछ बोले गड्ुडूने एक खत अपने पि ता के हाथ में थमाया और दरवाज़े के बाहर नि कल पड़ा। गड्ुडू के


पि ता खत पढ़ के गस्ुसे में फूटते हुए चि ल्लाने लगे, मैंजानता था ये लड़का आवारा है, कोई तरक्की नहीं

की है, हमसे जठू बोल रहा है। इसीलि ए फोन नहीं उठाता था न बात करता था। अरे इतना सब हासि ल

करने के बाद तो इंसान जि म्मेदार बन जाता है, इसे देखो सब कुछ छोड़ने की बात कर रहा है। लि खा है

की उसे ये पढ़ाई, नौकरी और तरक्की नहीं चाहि ए, बनारस जा रहा हैऔर वहीं रहेगा जबतक उसे अपनी

जि दं गी से जड़ुे जवाब नहीं मि लत।े अरे कोंसे सवाल, क्या जवाब, सब कुछ कि या इस लड़के के लि ए और

आज... अरे मनैं े अपने पि ता की हर बात सनु ी है, ये कोई तरीका हुआ, ऐसी कि तनी बाते यहंूी जोरों से

बड़बड़ाते रहे। गड्ुडू की मां अब फूट फूट कर रो रही थी। सभी लोग उनको सभं ालने में लगे हुए थे। चि टं ू

ये सब देख कर गड्ुडू भयै ा को रोकने के लि ए उनके पीछे भागने के लि ए शरूु हुआ। रूही ने कि ताब खत्म

करते ही एक मस्ुकान के साथ गड्ुडू भयै ा को घर से अपने दोस्त के साथ बाइक पर जाते हुए देखा।


By Kavita Chavda

2 views0 comments

Recent Posts

See All

The Belt

The Potrait

Commentaires

Noté 0 étoile sur 5.
Pas encore de note

Ajouter une note
bottom of page