Ek Shayari Tere Jane Par.
- Hashtag Kalakar
- Jan 8
- 1 min read
Updated: Jul 15
By Nandita Bondre
के तेरे आने से मन में थोडी चेहेल पेहेल सी मची थी,
पेट में तितलिया तो नही पर दिमाग में हवाए जरूर फैल गई थी
लगा के काले अंधेरे में खूबसूरत एक रोशनी सी छा गई थी,
प्यार वाली दोस्ती मेरी अब दोस्ती वाले प्यार में बदल चुकी थी..
भीड वाली खामोशी और बिना रंग के सपने अब मानो एक चित्र में बदल चुके थे,
अपनी हर बात के राजो के अपने अपने ख्वाब बन चुके थे
ऊन ख्वाबो के शेर चंद्रमा तक पोहोच भी गये थे,
चंद्रमा के सभी जवाब तुम तक भी पोहोच गये थे..
पर जाने अंजाने में थोडी घबराहट सी होने लग गयी थी,
दिल की बेचैनी वापस बढने लग गयी थी
भीड वाली खामोशी और बिना रंग के सपने वापस दिखने में आ रहे थे,
दोस्ती वाली प्यार के वो पल शायद अंत होने आए थे..
तू जो जा रहा था बहुत फिका सा लगा,
अंदर ही अंदर तुझे एक बार वापस रुकाना था,
दोष भला तेरा भी कैसे मैं मानलू?
नाता तो हमे साथ ही निभाना था
ना?
By Nandita Bondre

Comments