By Shilpa Gujrathi
छोटा सा यह दिल तनहा कहीं था, पर महफ़िल में उसकी कोई मेहमा नहीं था।
मुसाफिर था कोई,कोई अपना सही था, पर छोटे से इस दिल को कोई समझा नहीं था।
दिखावा नही कोई,धोखा नहीं था, सच्चा ना सही ये झूठा भी नहीं था।
सजदे में उसके सिमटा यह कहीं था, छोटे से इस दिल का कोई शागिर्द भी सही था।
पत्थर था यह कहीं शीशा भी कहीं था, टूटा यह अगर जुड़ता ही नहीं था।
खुशियां थी बहुत ये खुश भी कहीं था, सेहता था कहीं कहता भी नहि था।
मस्ताना था कहीं दीवाना कहीं था, पर मौज में यह अपनी कभी खो ना सका था।
छोटा सा यह दिल छोटा सहि था, पर महफ़िल में उसके कोई मेहमा नहीं था।
By Shilpa Gujrathi
Heart Houching ....
Excellent writing and such beautiful poem. Heartwarming and soft. kudos to the writer
Very nice and meaningful ☺️
Waah apratim ❤️
Nice 👍