Dil -e-Shayari
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Dil -e-Shayari

By Kinshuk mishra


मेरे इक़रार को इनकार कर दिया उसने

न जाने कब हमें अग्यार कर दिया उसने

खुद को रईस समझते थे हम इश्क़ के बाज़ार में

देखते ही देखते हमें बेरोज़गार कर दिया उसने

(1)


अपने इश्क़ मैं तूने मुझको बदनाम कर दिया

ज़माने भर मैं आज मुझको नीलाम कर दिया

मोहब्बत ही तो कि थी तुझसे ऐ ज़िन्दगी

तूने तू पल भर मैं ही मुझको गुमनाम कर दिया

(2)





मेरी हर कोशिशों को यह नाक़ाम किया करते हैं

दिल दुखाने का काम सरेआम किया करते हैं

हम तो फिर भी दोषी गैरों को ठहराते हैं जनाब

यूँ तो हमे अपने ही बदनाम किया करते हैं

(3)


हर पल फ़क़त तेरी यादों में बिताया है

तेरे प्यार में मैनें अपना सब कुछ लुटाया है

अश्कों से इन आँखों को भिगोते रहें हैं हम

तेरी तस्वीरों को अब तक हमने सीने से लगाया है

(4)



By Kinshuk mishra




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