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Dedication
Updated: Sep 21, 2022
By Shivvir Singh Bhadauria
जहां हो तुम ,जो जगह तुम्हारी
लेगा कोई और नही
मेरे मन के इस उपवन में
आएगा न और कोई
तेरा मेरा प्यार का बंधन
इससे अच्छा क्या होगा
चाहत तेरी , सपने तेरे
चाहूँ अब कुछ और नहीं
तुम अब मुझमें रचे बसे हो
तुम अब मुझसे अलग कहाँ
जिन रातों में सोचूं तुमको
न हो उनकी भोर कोई
फिक्र मुझे, परवाह तुम्हारी
हर पल दिल में ,ख्यालों में
प्रेम समर्पण श्रद्धा सब तुम
नअसमंजस ,नशोरकोई
By Shivvir Singh Bhadauria