By Shraddha
भगवन तू ही शक्ति मेरी,
बिन तेरे मैं कुछ भी नही।
तू विशाल से भी विशाल है,
मैं फूल की एक पंखुड़ी।।
तू अग्नि है, तू ही पवन,
तू ही ज़मी, तू ही गगन।
है तू ही मेरी आत्मा,
हर श्वास की एक-एक किरण।।
ये जिंदगी एक नाव है,
बाँधो कही बंध जाती है।
यदि, खोल दो इसको कहीं,
लहरों के संग बह जाती है।
संभालो नैय्या मेरी, बह जाए न वो भी कहीं।।
भगवन तू ही शक्ति मेरी……
इस जग में तू, कण-कण में तू,
घट-घट में तेरा वास है।
सागर की मैं एक बूंद हूँ,
जिसमे भी तेरा निवास है।
मैं अंश हूँ तेरी प्रभु,दिल में तेरे ही हूँ बसी।।
भगवन तू ही शक्ति मेरी………
मैं वृक्ष हूँ, तू जड़ मेरी,
मैं फूल तू खुशबू मेरी।
इस जग का तू ही आधार है
न चाहे तो कुछ भी नहीं।
फिर क्यो नही दिखता मुझे, दर्शन दो मुझको भी कहीं।।
भगवन तू ही शक्ति मेरी……
हर दुःख का तू ही नाश है,
नित सुख का तू ही आभास है।
एक बार बस कह दो यही,
तू दूर न है पास है।
सुन लूं जरा मुख से तेरे मैं हूँ जहाँ तुम हो वहीं।।
भगवन तू ही शक्ति मेरी……..
By Shraddha
コメント