top of page

An Untitled Story

By Aayushi


मार्च का महीना था। कोरोना धीरे धीरे चारों तरफ फैल रहा था।


हालांकि चायनीज प्रोडक्ट्स इतने दिनों तक चलते नहीं है पर कोरोना ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। डोनल्ड ट्रंप बाबू और मोदी भी आए दिन एक दूसरे की मदद कर रहे थे।


इन्हीं सब के बीच हमारा 20 साल का रोहन एक रात पहले ही अमेरिका से सूरत अपने मॉम डैड के पास आया था। और अगले दिन सुबह हुई नहीं कि निकल पड़ा अपने फेवरेट स्वीटहार्ट पडोसी जशोदा से मिलन।

"जाज कहां हो तुम?" रोहन ने हाथ धोते हुए पूछ।

अरे नालायक आ गया तू। 68 वर्षीय जशोदा ने उसकी आवाज सुनकर बोली।


"जाज मुझसे गले नहीं मिलेगी?"

"जल्द दूर हट! पेरिस और अमेरिका में पढ़ लिख रहा है लेकिन इतना भी नहीं पता कि अभी चुम्मा चाटी करना मना है। लड़की देखी ने कि हो गए शुरू।" रोहन जाज की इस बात को सुनकर जोर जोर से हंसने लगा।


"मेरी स्वीटहार्ट जाज! अभी भी वैसी की वैसी ही हो तुम। बिलकुल नहीं बदली।"रोहन ने आखिर उसको गले लगा ही लिय।

जशोदा रोहन को एकटक देख रही थी। रोहन बहुत बड़ा हो चुका था गोल मटोल सुंदर सा चेहरा और वह आँख।

बचपन में अपनी मां से छुपकर जशोदा के पास आ जाता था और उसकी गोद में बैठ जाता था और कहता "मुझे खाखरा खाना है"।


तभी एक चुटकी बजाने की आवाज आई और जशोदा अपनी यादों के भंडार से बाहर निकल आई।

"जाज! व्हाट मैन? कहां खो जाती हो तुम?"

"तू वो सब छोड़ तेरी माँ ने कल रात को ही बताया कि तू आने वाला है तो मैंने खाखरा बना कर कल रात को ही रख दिया। रसोई में पड़ा ह। रुक लाती हूं और दूसरी बात मैं मैन नहीं हूं वुमन हू। ध्यान रखियों।" जैस बोलती हुई रसोई की तरफ चली गयी। रोहन फिर जोर जोर से हंसने लग।

उसे जशोदा की हर बात अच्छी लगती थ। बचपन की जो दोस्ती थी। वह धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ ही रही थी कि रोहन ने देखा कि जशोदा अपने हाथ में कुछ छुपा रही है। बस फिर क्या था रोहन पीटी ऊषा की तरह जाज के पास दौड़ते हुए पहुंच।





"जाज! क्या है ये? दिखाओ मुझे। क्या छुपा रही हो?" रोहन ने जशोदा के हाथ से कुछ छीनते हुए बोल।


"ये देखो अब तो इस नालायक ने अपनी शरारतें शुरू कर दी। कोई ले जाओ इसे यहां से। " जशोदा ने गुस्से से बोल।

पर रोहन जशोदा की कहां सुनने वाला था।

उसे तो जशोदा की हर बात जानने की उत्सुकता होती थी। उसने जशोदा के हाथ से वो छीना और उसे टटोलना शुरू कर दिया।


वो एक अखबार में लिपटा हुआ कोई पुराना शादी का कार्ड था जिसमें सुनहरे अक्षरों से लिखा था "जशोदा वेड्स नरेन।"

रोहन ने फिर जशोदा को देखा और बोला "ओह हो तो हमारी जाज अपने स्वीट हार्ट को मिस कर रही ह। "

जाज को छेड़ने का मौका रोहन अपने हाथ से गंवाना नहीं चाहता था। खूब मस्ती ली उसन।


जशोदा अब रोहन को गुस्से में देख रही थी।

"उन्हें आदर से बुलाओ ।वह देश की सेवा में लगे हैं। " उसने गर्व से कहा

"ओह आई सी! क्या वो आर्मी में है? आई मीन सेना में?"

"नहीं!"

"तो क्या वो डॉक्टर है ?" नही फिर उत्तर आया।


"अच्छा! तो उनका चेहरा दिखाओ न जाज, लगे हाथों मुँह दिखाई भी हो जाएगी।" रोहन ने फिर उत्सुकता से पूछ।

"इस अखबार में उनकी तस्वीर छपी ह। देख लेना।" जशोदा ने फिर कहा।

इससे पहले कि वो अखबार खोलकर देख पाता। रोहन की मां उसे ढूंढते हुए दरवाजे पर आ गई। रोहन ने वो कागज का टुकडा अपनी जेब में रखा और अपनी मां के साथ चल दिया।


घर पहुंचने के बाद वो जशोदा के साथ सभी बातचीत को भूल चुका था। कुछ दिनों बाद रोहन अपने माता पिता के साथ भोजन कक्ष में भोजन कर रहा था।

उसकी मां ने पूछा "रोहन क्या तुम्हें पॉलिटिक्स में दिलचस्पी है?"

"मैं और पॉलिटिक्स? बिलकुल नहीं मॉम! पर आप ऐसा क्यों पूछ रही है?"

"मैंवॉशिंगमशीनमेंकपड़ेडालरहीथीतोतुम्हारेपॉकेटटटोलतेहुएमुझेनरेंद्रमोदीजीकीफोटोमिली।बसइसलिए।" रोहनकीमांनेबोला।


By Aayushi




2 views0 comments

Recent Posts

See All

The Annual-Dream

By Yasmin Parveen The Day has come. The annual lunar eclipse. Every year on Christmus Eve  Jesus send us a white glinting  pearl in an...

BookCastle - A Dream

By Yasmin Parveen “These aren’t ordinary shoes “. “They’ll take you where your heart truly belongs “. Where my heart truly belongs hmm…...

Chronicles Of Epsilon-9

By Avipsha Sarkar In the distant future, humanity had colonized the galaxy, with advanced technology shaping every aspect of life. On the...

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
SIGN UP AND STAY UPDATED!

Thanks for submitting!

  • Grey Twitter Icon
  • Grey LinkedIn Icon
  • Grey Facebook Icon

© 2024 by Hashtag Kalakar

bottom of page