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सपने

By Ashma Dattaram Madkaikar


सपना देखना कोई गलती नही है, पर उस सपने को पुरा करने की कोशिश भी न करना गलत बात है। अरे यार, मै कहती हु कोशिश तो करो, कामयाबी किसने देखी है? अपना हाथ- पैर मारो, अपने सपने को हकिकत मे दाखिल करने के लिए जी तोड मेहनत करो, आज तक हम किसी और के सपनोंको पुरा करने के लिये मेहनत करते आये है, क्यू ना इसबार हम खुद के लिये जिकर देखे? खुद के सपनोंको साकार करने की कोशिश करे, चलो आज हम एक ऐसी जिंदगी जिये जो हम कभी अकेले मे बैठे तो सोचते है।किसी को बताना जरूरी नही समझते हम वो सारी बातें , पर क्यू ना आज हम अपनी अनकही, अनसुनी बातोंके के लिए कुछ कर दिखाए।एक ही तो जिंदगी है फिर पता नही अगला जन्म कौनसा मिले? इसलिये जो भी मिला है भगवान जी से , उसे भगवान कि देन समझकर जी लेते है।


मेरा मानना है, सपना छोटा या बडा नही होता, सपना तो सपना होता है। किसी को गाने गाना पसंद होता है, तो किसी को कहानिया सुनाना पसंद होता है, तो किसी को लिखना…, जो भी हो उसे पुरा करने कि चेष्टा जरूर करना। मंजिल तो बहुत दूर होगी, पर रास्ते मे सिखी हर बात तुम्हे एक बेहतर इंसान जरूर बनाएगी।मै तो सोचती हु, कभी ये मंजिल मिलनी भी नही चाहिये, क्युकी मंजिल से ज्यादा खुबसुरत तो सफर होता है।


 अभी जब आप अंजान रास्ते पर चलोगे तो मुसिबते भी नई होगी और उनको तो आना ही है, उनके बिना मंजिल हासिल करने मे मजा क्या खाक आयेगा? कभी तो ऐसा मोड आयेगा जहा पर से खडे होकर आगे का रास्ता धुंदला नजर आयेगा या फिर रास्ता ही नाही होगा, हम खुद अपने उपर शक करते रहेंगे, आखिर मैने यह राह चुनी ही क्यू? सब सवाल ऐसे आयेंगे जहन मे कि हम उस राह् से पिछे मुडना चाहेंगे और वापिस लौटना चाहेंगे जहा से आये थे। बस , तब यह पूछना अपने आप से कि हम इधर तक क्यू आये थे,   ऐसी क्या जिद थी की हमने इतनी मुश्कीले सह ली ? और जब इसका जवाब मिल जाये तो बस आगे बढते रहना है, चलते रहना है, और बस चलते रहना है। हा, आप आगे बढने के लिए अलग रास्ता चुन सकते हो,पर कभी पीछे मुडना मत।इतनी मेहनत करो,  कोशिश करो, अपनी हिम्मत को बरखरार रखो , की एक दिन भगवान खुद तुम्हे एक ऐसी राह दिखलायेगा और पुरी राह चमकिली तारोंसे रोशन हुई होगी और फिर तुम एक और बार अपनी मंजिल कि तरफ़ बढते देखोगे खुदको।


इसलिये जो भी बात हो, परेशानी हो, हालात जैसे भी हो, सपने देखना छोडना मत,और अपने सपनोंको हकिकत मे तबदील जरूर करते रहना। क्योंकी एक उमर बाद जब आप ठहर जाओगे , अपने आप को पीछे मुडकर देखोगे, तो तुम्हे खुद के उपर गर्व महसूस हो रहा होगा और तुम कह पडोगे,

              “मुश्किल था सफ़र,

           पर मैने कोशिश तो की”।


By Ashma Dattaram Madkaikar


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