फर्ज़
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फर्ज़

By Nirupama Bissa


"क्या आप डॉक्टर आलोक बोल रहे हैं ?"


"जी हां । "


दूसरी ओर से आवाज़ आई ।


"क्या आपकी स्कूलिंग सेंट जेवियर्स में हुई है?" फिर एक प्रश्न पूछा उसने ।


"जी नहीं। " दूसरी ओर से फिर एक उत्तर आया ।


बस इतनी सी बात हुई और आनंद ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया ।


टेलीफोन डायरेक्टरी लेकर बैठा था रात भर और किसी डॉक्टर आलोक को ढूंढ रहा था जिसकी स्कूलिंग सेंट जेवियर में हुई थी ।


परंतु अभी तक केवल निराशा ही हाथ आई थी ।


सुबह हुई तो डायरेक्टरी को टेबल रख कर आनंद तैयार हुआ और निकल पड़ा हॉस्पिटल की ओर।


आनंद को देखते ही अंजली मुस्कुराई और अपने बेड पर लेटे लेटे ही बोल पड़ी


"क्या आलोक का पता चला ? "


क्या उत्तर देता आनंद , बस सर झुका लिया उसने अपना। अंजली भी उदास मन के साथ खामोश हो गई ।


उसकी आंखो की नमी अब बाहर झलकने लगी थी ।


आनंद उसके कमरे से बाहर आकर हॉस्पिटल के कॉरिडोर में रखी बेंच पर बैठ गया।


आंखे बंद की तो पूरा जीवन एक कहानी की तरह उसकी आंखो के आगे घूम गया ।


कितने खुश थे आनंद और अंजलि अपने जीवन में, सभी कुछ तो था उनके पास । उस पर दो प्यारे बेटों के माता पिता होने का सुख भी भरपूर जी रहे थे दोनो । अंबर अब 9 वर्ष का हो चुका था और आकाश 5 वर्ष का।


"आनंद , इस बार हमें बेटी ही होगी । तुम देखना । "




"अच्छा, तुम्हे सब पता है पहले से ।"

कहकर आनंद मुस्कुराने लगा।


अंजली ने तीसरी बार कंसीव किया था, 2 महीने की प्रेगनेंसी के बाद रूटीन चेकअप के लिए ही तो गए थे दोनो उस दिन

Anand and Anjali , There are some issues with this pragnancy , I think you shoul d not continue with it .


डॉक्टर के इतना कहने पर ही अंजली फफक कर रोने लगी ।


उसके बाद ना जाने कितने टेस्ट हुए अंजली के ।


"और कितना वक्त बचा है डॉक्टर , अंजली के पास? "


आनंद ने पूछा ।


"बस 6महीने और।"

डॉक्टर का ये उत्तर सुनकर आनंद की तो दुनिया ही तहस नहस हो गई । कहां तो वो एक बेटी का स्वागत करने की तैयारी कर रहा था और कहां ये .... Cancer .


और उसके बाद आनंद ने खुद को भुला दिया , अंजली और दोनो बच्चों में ही को गया ।


ईश्वर के इस कठोर निर्णय को सहन करने की ताकत जुटा ही रहा था कि एक दिन


"आनंद , मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं।"


कहो अंजली क्या हुआ ।


आनंद , मैने अपने जीवन में केवल एक ही व्यक्ति से प्रेम किया है , मेरे स्कूल में मेरे साथ पढ़ने वाले आलोक से । सुना है आजकल डॉक्टर हो गया है और यहीं मुंबई में रहता है ।


आनंद मैं मरने से पहले उससे एक बार मिलने चाहती हूं, उसको देखना चाहती हूं । क्या तुम मुझे उनसे मिला सकते हो ?


अंजली के शब्द आनंद के हृदय को छलनी कर रहे थे , आज वो पूर्णतया छला हुआ महसूस कर रहा था स्वयं को ।


हां मैं कोशिश करता हूं ।

बस रूंधे गले से इतना ही कह पाया ।


"आप ये दवाइयां लेकर आ जाइए ।"

नर्स की आवाज सुनकर आनंद पुनः वर्तमान में लौट आया ।


इसी भागदौड़ में पूरा दिन निकल गया । रात आई तो फिर


"क्या आप डॉक्टर आलोक बोल रहे हैं ?"

आनंद अभी भी अपने पति होने का फर्ज निभा रहा था ।


By Nirupama Bissa




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