तबाह
- Hashtag Kalakar
- Jan 23
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By Prathamesh Prakash Jadhav
तुझे पाने की चाह में कितने दिल कलाम हुए,
तुम भी जानते हो उनमें से हम भी एक हुए।
तेरे वादे, तेरी बातें, सब ख़्वाब थे शायद,
हम इन्हीं ख़्वाबों के सहारे तबाह हुए।
अब शिकवा भी तुझसे है, और तुझसे ही वफ़ा,
तू देख, तेरे इश्क़ में हम किस कदर पागल हुए।
मोहब्बत में हमने खुद को मिटा दिया,
लोग कहते हैं फ़िरदौस तुम ख़राब हुए।
किसी को बेपनाह चाहना क्या गुनाह है,
तो फिर हम गुनाहगार कैसे हुए?
बारिश की बूंदों ने आईना दिखाया हमे,
तब पता चला हम कहीं गुमनाम हुए।
By Prathamesh Prakash Jadhav

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