- hashtagkalakar
Waqt
By Pradnesh Tari
वक़्त किसीकेलीये नही रूकता
वो चलता ही जाता है
किसीको अपने पिछे छोङ देता है
तो किसीको अपने साथ लिए आगे बढता है
किसीको को ज़मीन पर पठकता है
तो किसीको हवा में सेहलाता है
सेहलाते सेहलाते कोई इतना खो जाता है
के ज़मीन पर चलनेवालो का चलना ही
तुच्छ मानता है
मानने या न मानने से सच नहीं बदलता है
जो दिखता है हमेशा वही नही बिकता है
ये वक़्त ही है जो तुझे सिकाता है
अदब से पेश आना हमेशा सभी से
क्योंकि... कल किसने देखा है
आखिर वक़्त है.. जो बदलता है
आज तेरे साथ है
काल उसका हो सकता है.
By Pradnesh Tari