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Shor
By Dr. Tara Nigam
दिल में एक शोर है, मग़र ख़ामोश बैठा है
ख़ामोश है उस रात सा, जो कई दर्द छुपाये बैठा है
दर्द है उस चोट का, जो उसे अपनों ने दिए
अपनों की ख़ुशी की ख़ातिर, मौन वो सहता रहा
सहने की जब हद्द हुई तो, शोर वो सुनाई दिया
पर लोगों के अहंकार ने, शोर वो सुनने ना दिया
अब फ़िर से दिल ख़ामोश है, क़यास लगाए बैठा है
नाउम्मीदी के दौर में भी, इक आस लगाए बैठा है।
By Dr. Tara Nigam