Papa!
- Hashtag Kalakar
- Oct 24
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By Shatakshi Parashar
मेरी रातों को सुकून, मैंने उनकी छांव में देखा है।
मेरे ख्वाबों के लिए उनका संघर्ष, मैंने अपने गांव में देखा है।
वो जो रुकते नहीं, पर थकते ज़रूर हैं...
वो जो कहते नहीं, पर सहते ज़रूर हैं...
उस मोड़ पर छाला, मैंने उनके पांव में देखा है।।
नायक नहीं मेरी ज़िंदगी में कोई...
एक चेहरा है साफ़, जो हर मुश्किल में नज़र आता है,
एक बस उसी चेहरे में, हमने अपने भगवान को देखा है।
मेरी कामयाबी का वो उत्साह, मैंने उनकी आंखों में देखा है।
मेरी मुश्किलों को कम करना, मैंने उनके इरादों में देखा है।
वो जताते नहीं बस, करते सब हैं...
वो दिखाते नहीं बस, समझते सब हैं...
मेरी खुशियों का वो सामान, मैंने उनके हाथों में देखा है।।
पढ़े, लिखे, समझदार हुए, ज़िंदगी में थोड़ा आगे बढ़े, थोड़ा और आगे बढ़े,
थोड़ा और आगे बढ़े, तो पता चला...
पिता से बड़ा महान न कोई, इस जहान ने देखा है।
By Shatakshi Parashar

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