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Nazm
Updated: Sep 20, 2022
By Vesal Ansari
ये वक़्त भी किसी रोज़ निकल जाएगा,
देखते ही देखते सब कुछ बदल जाएगा,
ग़मगीन हैं हालात आज तो मायूस मत होना,
ये दुखों का बोझ जल्दी ही संभल जाएगा,
ग़मों की शाम जो यक़ीनन बहुत लंबी है,
रफ़्ता-रफ़्ता ये आफ़्ताब भी ढल जाएगा,
दुनिया-ए-फ़ानी से ना जाने कितने रुख़सत हो गए,
अब ख़ुल्द में उनके नाम से कँवल खिल जाएगा,
सब्र से ही जीना है इस नेमत-ए-ज़ीस्त को "वेसाल",
फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से हर शख़्स वबा से निकल जाएगा...
By Vesal Ansari