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Ishq
By Sunil Kumar Shukla
इश्क़ रौनक़ भी है रवानी भी ,
इश्क़ मासूम सी कहानी भी !
इश्क़ सावन की बूँद है शायद ,
इश्क़ अल्लढ़ सी एक जवानी भी !!
इश्क़ ग़र दर्द है दवाई भी ,
इश्क़ अपनों की रहनुमाईं भी !
इश्क़ है हादसा किसी के लिए ,
इश्क़ में है छिपी ख़ुदाई भी !!
इश्क़ दरिया है और पानी भी ,
इश्क़ ख़ुशरंग ज़िन्दगानी भी !
इश्क़ शबनम है इश्क़ शोला है ,
इश्क़ नायाब सी निशानी भी !!
इश्क़ हस्ती है इश्क़ मस्ती भी ,
इश्क़ सपनों की नई बस्ती भी !
पार कर देगी या डुबोयेगी ,
इश्क़ आज़ाद बही कश्ती भी !!
इश्क़ ही बाग़ बाग़वां भी है ,
इश्क़ ख़्वाबों का कारवाँ भी है !
सारे सपने जो सँजोकर रखे ,
इश्क़ महबूब का मक़ां भी है !!
कोई कहता है आदत ये कोई कहता इबादत है ,
कोई बाज़ी इसे कहता कोई कहता अदावत है !
जो देखा डूब कर इसको तो हासिल ये हुआ मुझको ,
ये दौलत इश्क़ की प्यारे ख़ुदा की ही नियामत है !
By Sunil Kumar Shukla