मां
- Hashtag Kalakar
- Jan 11
- 1 min read
Updated: Jul 18
By Punam Agarwal
, एक शब्द पर जज्बातों का भंडार
करती अपने बच्चों पर खुद को निशार
ममता की मूरत , दिल में सबके लिए प्यार
एक शब्द पर इसके रूप हजार
कभी धरती तो कभी गंगा का रूप है
सींचती जो प्यार और ममता से हमें
कभी दुर्गा और काली बन
हर संकट से बचाती हमें
कभी हवा के झोंके सी ठंडी
प्यार की शीतलता बरसाती
कभी आग की तपिश सी गर्म
क्रोध कर हमें सही राह दिखाती
हर हाल में हमें संभालती
उंगली पकड़ चलना सिखाती
जीवन की सही राह दिखाती
कभी न हारना हमें सिखाती
पर जब बच्चे बड़े हो जाते
क्यों मां की हर कुर्बानी भूल से जाते
क्यों उसके प्यार की कद्र नहीं होती
क्यों बच्चे यू उससे दूर हो जाते
जब बच्चों का साथ होना चाहिए
क्यों वो अकेले रह जाती
क्यों कभी वृद्धाश्रम तो कभी
मंदिर की सीढ़ियों पर नजर आती
मां नहीं तो तुम भी नहीं
बात ये समझ लो
जिसने जन्म दिया
उसकी थोड़ी तो कद्र कर लो
धरती पर उस रब का रूप है मां
धूप में शीतल छांव हैं मां
तूफानों में आसरा है मां
तुम्हारे हर दर्द की दवा है मां
किस्मत वाले है वो
जो मां की कद्र जानते हैं
खुद रब ऐसे लोगों पर
अपनी कृपा बरसाते हैं ।
By Punam Agarwal

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