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Dua
By Bhagat Singh
कहा एक हमदर्द ने
दुआ करो
मेरी एक ख़्वाहिश के लिए
मैंने कहा
मेरी खुदा से दोस्ती नहीं है
और मेरी की गई दुआ से
कुछ होना भी नहीं है
उसने कहा कर दो
मैंने कहा क्यों ?
दोनों अपनी बात पर
रहे ज्यो के त्यो
मेरी दुआ कूबूल हो जाएगी
गर तुम दुआ करोगे
अरे! करनी का फल
सब भरते है
तुम भी भरोगे
ज़िंदगी चाहे कैसी भी हो
शुरूआत और अंत
एक होता है
मेरे दुआ करने
ना करने से, क्या होता है
ज़िंदगी की कामयाबी के
गर छू गए कल को
क्या शाबाशी दे पाओगे
मेरे दुआओ के दल को
नहीं, क्योकि
मेहनत, लगन का दर्जा दुआओ से ऊँचा होता है
दुआएँ तो मेहनत के साथ
मुफ्त में आती है
पर दुआओ का दौर
आजकल ऐसा बदला है
मेहनत के माथे पर
है पसीना चलता
और दुआएँ मुफ्त में
लुफ्त उठाती
है फल का॥
By Bhagat Singh