। ऐतबार ।
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Kavita Batra
तुम याद रखो या ना रखो , यह तुम्हारी मंजूरी है ।
हम आदत से मजबूर , हर सजदे में तेरी खैरियत मांगेंगे , यह हमारी मर्ज़ी है ।
तुमसे जो ऐतबार लगा बैठै हैं, वो किसी और से अब लगेगा नहीं , यह हमारी फितरत कि मंजूरी है।
आगे चल भी दें, जब ज़माना चलने के लिए कह देगा , ज्यादा बहस ज़माने से ना हो ऐसी हमारी मर्ज़ी है।
लगेगा की लगाने लगे है , लगेगा की लगाने लगे है ,
ऐतबार किसी से , लेकिन सच बताएं, ऐतबार तेरे सिवाय अब कहीं और लगेगा नहीं, ऐसी हमारी फितरत कि मंज़ूरी है।
तू घूम के आ सारा जहाँ, मगर छापके आना अपने वफा के निशान,
ना मिले तुझे भी ऐतबार किसी का, यकीन रख , हम तुझे तेरे लिए वहीं मिलेंगे ऐसी हमारी मर्ज़ी है ।
By Kavita Batra

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