। अह्सास ।
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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By Kavita Batra
मुसकुराओ मत इतना ,
कि तुम्हारी आंखो कि नमी मुझे दिखती हे ।
जागी हें यह कई रातें ,
कि अब नींद को तरसती हे ।
मत कर किसी के गरूर में होने का दर्द ,
मत कर किसी के गरूर में होने का दर्द ,
यहां मोहतरमा हर अह्सास कि कीमत लगती हे ।
By Kavita Batra

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